For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आसमान में उगता सूरज, जलता सूरज तपता सूरज

बदरियों की बगियाँ में, लुका-छिपी करता सूरज

सांझ सकारे किसी किनारे, धीरे धीरे ढलता सूरज

मैं भी तो इस सूरज सा, चढ़ा कभी कभी ढ़ल गया हूँ

जाने क्यों कहते हैं लोग, की मैं बदल गया हूँ!

हर रंग ढंग में रहता पानी, थमता पानी बहता पानी

आसमान से झर झर बरसे, गागर में फिर भरता पानी

बर्फ सा बनकर जमा धरा पर, आसमान में भी उड़ता पानी

मैं भी तो इस पानी सा, प्यास बुझा के भी जल गया हूँ

जाने क्यों कहते हैं लोग, की मैं बदल गया हूँ!

सनन सनन सर्र बहे हवा, चुप है फिर भी कहे हवा

जहां देखो वहाँ हवा, फिर भी कहीं ना दिखे हवा

चिंगारी ना फूटे इस बिन, आग बुझाने को भी लगे हवा

मैं भी तो इस हवा सा, पर्वत पार निकल गया हूँ

जाने क्यों कहते हैं लोग, की मैं बदल गया हूँ!

खेत में फसल उगाती माटी, मरे को गोदी सुलाती माटी

कभी पैरों से रौंदी जाती, कभी ललाट सजाती माटी

जिस माटी से बने घरौंदे, उसी घर से बहारी जाती माटी

मैं भी तो इस माटी सा, माटी में ही मिल गया हूँ

जाने क्यों कहते हैं लोग, की मैं बदल गया हूँ!

"मौलिक व् अप्रकाशित"

"रणवीर प्रताप सिंह"

Views: 548

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 27, 2015 at 11:17am

आ० भाई रणवीर जी , इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई .

Comment by Ranveer Pratap Singh on January 27, 2015 at 1:00am

@मिथिलेश वामनकर @जितेन्द्र पस्टारिया @ Hari Prakash Dubey @ शिज्जु "शकूर" आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने मेरी इस कविता को सराहा... 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 26, 2015 at 9:39pm

आदरणीय रणवीर प्रताप सिंह जी सुन्दर प्रस्तुति हेतु  हार्दिक बधाई !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 26, 2015 at 6:36pm

सुंदर प्रस्तुति, आदरणीय रणवीर जी. बधाई , गणतंत्र दिवस की शुभकामनाये

Comment by Hari Prakash Dubey on January 26, 2015 at 11:42am

आदरणीय रणवीर प्रताप सिंह जी सुन्दर रचना हार्दिक बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 26, 2015 at 7:29am

आदरणीय रणवीर जी अच्छी भावाभिव्यक्ति है बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service