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Ranveer Pratap Singh's Blog (17)

मैं भारत का मुसलमान हूँ

है मज़हब भले अलग मेरा, पर मैं भी तो इंसान हूँ

खान पान पहनावा अलग, पर बिलकुल तेरे सामान हूँ

ऊपर से चाहे जैसा भी, अन्दर से हिंदुस्तान हूँ

अपने न समझे अपना मुझे, इस बात मैं परेशान हूँ

अपने ही मुल्क में ढूंढ रहा, मैं अपनी पहचान हूँ

मैं भारत का मुसलमान हूँ-२

जब कोई धमाका होता है, लोग मुझ पर उंगली उठाते हैं

आतंक सिखाता है मज़हब मेरा, ये तोहमत हम पर लगाते हैं

दंगों में…

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Added by Ranveer Pratap Singh on May 1, 2018 at 4:30pm — 6 Comments

मुझे हिन्दू, उसे मुसलमान रहने दो!

दिल में प्यार

आँखों में सम्मान रहने दो

मंदीर की आरतियों संग

मस्जिद की अज़ान रहने दो

क्यों लड़ना धर्म के नाम पर

क्यों बेकार में खून बहाना

मज़हब के मोहल्लों में

इंसानों के मकान रहने दो

मुझे हिन्दू, उसे मुसलमान रहने दो!

माना सब एक ही हैं

पर थोड़ी अलग पहचान रहने दो

अगरबत्तियों की ख़ुशबू संग

थोडा लोहबान रहने दो

चढाने दो उसको चादरें

मुझे चढाने दो चुनरियाँ

दोनों मज़हब तो सिखाते हैं प्रेम ही

तो थोड़ी गीता थोडा क़ुरान…

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Added by Ranveer Pratap Singh on September 5, 2017 at 10:59pm — 5 Comments

मैं बदल गया हूँ!

आसमान में उगता सूरज, जलता सूरज तपता सूरज

बदरियों की बगियाँ में, लुका-छिपी करता सूरज

सांझ सकारे किसी किनारे, धीरे धीरे ढलता सूरज

मैं भी तो इस सूरज सा, चढ़ा कभी कभी ढ़ल गया हूँ

जाने क्यों कहते हैं लोग, की मैं बदल गया हूँ!…

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Added by Ranveer Pratap Singh on January 25, 2015 at 10:00pm — 6 Comments

ककहरा

ककहरा



क- काले दिल कपड़े सफ़ेद

ख- खादी की नियत में छेद

ग- गद्दार देश को बेच रहे

घ- घर को रहे भालो से भेद

इसके बाद कुछ नहीं

मानो हुआ कुछ नहीं…



च- चिड़िया थी जो सोने की

छ- छलनी है आतंक की गोली से

ज- जहां तहां है ख़ून खराबा

झ- झगड़े, जात-धर्म की बोली से

इसके बाद कुछ नहीं

मानो हुआ कुछ नहीं…



ट - टंगी है आबरू चौराहे पे माँ की

ठ - ठगी सी आंसू बहाती है

ड - डरी हुयी है बलात्कारियों से

ढ - ढंग से जी नहीं…

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Added by Ranveer Pratap Singh on January 11, 2013 at 11:30pm — 11 Comments

चन्द्रबदन!

चन्द्रबदन!

तेरे कपोल पे तेरे नैनों का नीर

लागे जैसे सीप में मोती

शशी से भी तू सुन्दर लागे

जब ओढ़ चुनर तू है सोती

झरने सी तू चंचल है

सुन्दरता से भी सुन्दर है

सुगंध तेरी  जैसे कोई संदल

चन्द्रबदन, चन्द्रबदन, हय तेरा चन्द्रबदन…

 

तेरे केशों में…

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Added by Ranveer Pratap Singh on November 16, 2012 at 10:30pm — 8 Comments

ईश्वरल्लाह...

अजब सा शोर है…

मंदिर की घंटियों में भी

मस्ज़िद की अजानों में

मुझको रब नहीं दीखता

धर्म के इन दुकानों में



दिल में बचैनीं हैं...

क्या ख़ाक मिले सुकूं

गीता में कुरानों में

आब हूँ हवा में मिल जाऊँगा

मुझे ना दफनाना तुम

ना जलाना शमशानों में



नहीं जाता किसी दर पर...

खुदा जो है तो मुझसे मिले

कभी मेरे मकानों में

मैं मंदिर में बैठ के पियूँगा

वो तो हर जगह है

पैमानों में मयखानों में



उसे क्या ढूंढते हो तुम…

ज़िन्दगी…

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Added by Ranveer Pratap Singh on November 5, 2012 at 11:30pm — 8 Comments

नज़र...

 

नज़र से उसकी नज़र मिल गयी

नज़र को जैसे मिला नज़राना
नज़र को उसकी नज़र भर देखा 
नज़र नज़र में बना दीवाना …
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Added by Ranveer Pratap Singh on October 31, 2012 at 11:00pm — 2 Comments

महंगाई

महंगाई 

महंगाई ने कुछ ऐसा रंग दिखाया है 

आम सी दाल को भी खास बनाया है

जो दाल रोटी खा प्रभु के गुण गाते थे 

प्रभु को भूल आज,वो दाल की पूजा कर जाते हैं 

फास्ट फ़ूड खाने वाला आज दाल भी शौक से खाता है 

सूट पहनकर इतराता हुआ खुद के रौब दिखाता है 

धरती की दाल को आसमान…

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Added by Ranveer Pratap Singh on October 17, 2012 at 10:44pm — 4 Comments

पंक्तियाँ...

पंक्तियाँ

 

v एक दिन देखना देश हमारा इतना हाईटेक हो जाएगा,

दूल्हा भी घूंघट दुल्हन का रिमोट से ही उठाएगा!

 

v आयेंगे तो जा न पायेंगे ये हमारी ज़िम्मेदारी है,

और जायेंगे भी कैसे जनाब ये अस्पताल ही सरकारी है!

 

v पुरुषो से हैं कहीं आगे आजकल की महिलाएं,

 धडल्ले से हैं पीती दारू वो भी बिना बरफ मिलाये!

 

v पत्नियां घूमें सेल में ढूंढें महंगी साड़ी,

पति बेचारा जेब टटोले कभी…

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Added by Ranveer Pratap Singh on August 25, 2012 at 9:53pm — 2 Comments

रंग बिरंगा देश

रंग बिरंगा देश है मेरा 

रंग बिरंगी शान है 

सारी दुनिया कहती है , सुनलो … 

भारत देश महान है !



रंग बिरंगे लोग यहाँ पर 

रंग बिरंगी संस्कृति 

विश्व नक़्शे पर है बनी 
सबसे सुन्दर सी आकृति 


लोग यहाँ रहते हैं मिलकर 

सबका साथ निभाते हैं 

ईद , होली हो या बैसाखी 

मिलकर जश्न मनाते हैं 



रंग बिरंगे मौसम…
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Added by Ranveer Pratap Singh on August 15, 2012 at 11:30am — 5 Comments

बचपन !

बचपन !

आज मन मेरा फिर मुस्कुराया है 

बचपन का दिन आज याद मुझे आया है 

यादों ने फिर एक गीत सुनाया है 

बचपन का दिन आज याद मुझे आया है…

 

स्कूल से घर आकर बसते का पटकना

तपती हुई धुप में बस यूँ ही भटकना

आइने के सामने मस्ती में मटकाना

पापा के कंधे पर जबरन…

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Added by Ranveer Pratap Singh on August 14, 2012 at 1:12pm — No Comments

क़लम, डायरी और तू...

क़लम, डायरी और तू... 

 

आज सोचा की तेरी बड़ाई लिखूं

कुछ तेरी ही बाते कुछ तो सच्चाई लिखूं

कुछ ऐसा लिखूं जो मेरी कल्पना ना हो

चाँद, तारे, बादलों से तेरी तुलना ना हो

कुछ शब्द है मन में मेरे, कुछ पंक्तियाँ सजाई है

तुझपे कविता लिखने को मैंने डायरी उठायी है....…

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Added by Ranveer Pratap Singh on August 12, 2012 at 3:28pm — No Comments

दुनिया

दुनिया

चाँद धरा पे लाना है

सूरज को पिघलाना है

सागर को भर अजुरी में

बादल को बरसाना है

है अंत जहां भी आसमान का

उससे ऊपर…

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Added by Ranveer Pratap Singh on August 12, 2012 at 12:24am — No Comments

मेरी सखी

मेरी सखी

कभी चंचल है, कभी है गंभीर

कभी हवा सी है, कभी जैसे नीर 

कभी मोती जैसे खानेके वो

कभी चन्दन जैसे महके वो

कभी…

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Added by Ranveer Pratap Singh on August 10, 2012 at 1:20pm — 7 Comments

तिनका तिनका ज़िन्दगी

तिनका तिनका ज़िन्दगी
 
बिखर गए पन्ने, मेरी ज़िन्दगी की किताब से 
तिनका तिनका ज़िन्दगी, जी रहा हूँ हिसाब से…
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Added by Ranveer Pratap Singh on August 9, 2012 at 1:30pm — 2 Comments

अमीरी

अमीरी



बचपन की अमीरी जाने कहाँ खो गयी 

सपनो की दुनिया मेरी आँखे मूँद सो गयी …

चार आने जेब में रखकर 

दुनिया लेने जाते थे 

चार आने में चार गोलियां 

संतरे वाली लाते थे 

चार चवन्नी रख गुल्लक में 

उसको रोज़ बजाते थे 

चार रुपये हो जाए तो एक 

नयी गुल्लक ले आते थे 

चार आने की खनक चार कंधो पे सो…

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Added by Ranveer Pratap Singh on August 8, 2012 at 1:30pm — 4 Comments

अ-विराम

                         

प्रगति पथ पर चलो निरंतर

न किसी का भय न कोई डर

करना है कुछ अलग सा काम

चाहे हो जाए जीवन तमाम

पर चले चलो अ-विराम

 

कांटो सी राह पर चलते है जाना

सूरज की आग में जलते है जाना

रोशन करना है जग में नाम

चाहे हो जाए जीवन तमाम

पर चले चलो…

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Added by Ranveer Pratap Singh on August 7, 2012 at 11:33pm — 5 Comments

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