मानव का मान करो ….
सिर से नख तक
मैं कांप गया
ऐसा लगा जैसे
अश्रु जल से
मेरे दृग ही गीले नहीं हैं
बल्कि शरीर का रोआं रोआं
मेरे अंतर के कांपते अहसासों,
मेरी अनुभूतियों के दर पे
अपनी फरियाद से
दस्तक दे रहे थे
दस्तक एक अनहोनी की
एक नृशंस कृत्य की
एक रिश्ते की हत्या की
दस्तक उन चीखों की
जिन्हें अंधेरों ने
अपनी गहराई में
ममत्व देकर छुपा लिया
मैं असमर्थ था
अखबार का हर अक्षर
मेरी आँखों की नमी से
कांप रहा था
क्या एक पिता
जो परिवार का वट वृक्ष होता है
जो सबकी रक्षा करता है
जिसकी छाँव में
सब अपने आपको
सुरक्षित समझते हैं
क्या वही बागबाँ
अपने आँगन की मासूम कलियों की
असुरक्षा का कारण बन सकता है
क्या अपने ही संरक्षक द्वारा
तीन वर्ष की मासूम के साथ ……..
किसका कलेजा नहीं काँपेगा
ये खबर पढ़ कर
और कितना पतन होगा
इस मानव का
जो दिन प्रतिदिन
हवस का पुजारी होता जा रहा है
अपने जीवन की हर परत को
अपने कर्मों से
एक निंदनीय घृणा के रंग से
रंगता जा रहा है
इसके चलते
आज परिवार की हर कड़ी
अपने आप को असुरक्षित
मानने लगी है
पति-पत्नी ,भाई-बहन,बेटे-बेटी
कितने पावन हैं ये ईश्वरीय रिश्ते
जिस पावन स्नेह के अटूट बंधन से
ये सृष्टि बंधी है
उस पावन स्नेह की डोरी को
क्यूँ अपनी वहशत से
तार तार करते हो
रहम करो, होश में आओ
अपनी हवस को
अपना कर्म न बनाओ
कम से कम अपने अंश को तो
अपनी दरिंदगी का शिकार तो न बनाओ
इस ईश्वरीय प्रदत चोले में निहित
मानवीय कर्मों का मान करो
अरे मानव हो मानव बन के
मानव का मान करो
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल शुक्रिया। आभार विलम्ब के लिए क्षमा।
आदरणीय मिथिलेश वामनकरजी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल शुक्रिया। आभार विलम्ब के लिए क्षमा।
आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi" जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल शुक्रिया। आभार विलम्ब के लिए क्षमा।
आदरणीय Dr. Vijai Shankerजी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल शुक्रिया। आभार विलम्ब के लिए क्षमा।
आदरणीय Hari Prakash Dubey जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल शुक्रिया। आभार विलम्ब के लिए क्षमा।
सरना जी
संवेदना से भरी रचना i आपको बधाई i
आ० भाई सुशील सरना जी , सुन्दर और सन्देश देती इस रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकारें l
बहुत मर्मस्पर्शी. जागृत करती प्रभावी पंक्तियाँ , नमन आदरणीय सरना जी
आदरणीय सुशील सरना सर जी , सुन्दर और सन्देश देती रचना पर आपको हार्दिक बधाई ! सादर
आदरणीय सरना साहब, बहुत ही मार्मिक कथ्य साझा किया है आपने, क्या कही जाय, मुद्दा सोचनीय है और ईलाज के साथ साथ मर्ज बढ़ते जा रहा है. एक अच्छी और गंभीर रचना पर बहुत बहुत बधाई.
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