राधॆश्यामी छन्द :
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भारत की यह पावन धरती,प्रगटॆ कितनॆं भगवान यहाँ !!
समय समय पर महापुरुष भी,दॆनॆ आयॆ सद्ज्ञान यहाँ !!
वॆद,ऋचायॆं लिखकर जिसनॆ,जीवन शैली सिखला दी है !!
एक शून्य मॆं सारी दुनियाँ,जॊड़,घटा कर दिखला दी है !!
इतिहास यहाँ का भरा पड़ा, वलिदानों की गाथाऒं सॆ !!
गूँज रहा है शौर्य आज भी, वीरॊं की अमर चिताऒं सॆ !!
शौर्य-शिरॊमणि यॆ भारत है,सत्य,अहिंसा की है डॊरी !!
एक दृष्टि सॆ पूर्ण पुरुष है,एक दृष्टि सॆ माँ की लॊरी !!
सारी दुनिया जान गई है, यॆ साथ सत्य का दॆता हैं !!
पौरुष जाग उठॆ जॊ इसका,सूरज कॊ भी खा लॆता हैं !!
सब जाति,धर्म,भाषाऒं का,करना सम्मान सिखाया है !!
चाँद और मंगल पर जा कर, अपना झंडा फ़हराया है !!
खॆलॆ- कूँदॆ इसी धरा पर, हम इसी धरा पर बड़ॆ हुयॆ !!
भारत माता की जय गाथा,गानॆ कॊ कविगण खड़ॆ हुयॆ !!
सागर चरण पखारॆ जिसकॆ,सूरज अभिनंदन करता है !!
छॊटा सा यॆ कलम सिपाही,इस माँ का वंदन करता है !!
"राज बुन्दॆली"
३१/०१/२०१५
पूर्णत: मौलिक एवं अप्रकाशित रचना
Comment
आदरणीय राज बुन्दॆली जी ,........प्रवाहमयी रचना .....बहुत सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई....
आदरणीय राज बुंदेली जी अच्छा प्रवाहमयी रचना है बहुत बहुत बधाई आपको
सागर चरण पखारॆ जिसकॆ,सूरज अभिनंदन करता है !!
छॊटा सा यॆ कलम सिपाही,इस माँ का वंदन करता है !!
वाह आदरणीय कवि राज बुंदेली जी वाह उत्तम भावों की गहनता लिए इस लाजवाब प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें
आदरणीय राज बुन्दॆली जी ,........छॊटा सा यॆ कलम सिपाही,इस माँ का वंदन करता है !! .....बहुत सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई !
लाजवाब प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई स्वीकारेँ |
Aadarniya bundela ji,
Deshprem se bharpur rachna ke liye bahut badhai.
Iss chaman ke suman khilte rahain.sukh dukh main hum milte rahain
Lakh Koshish kare hamain todne ki,Hum Jude huwe judate rahain.
आदरणीय बुंदेला जी
इस छंद का ज्ञान मुझे नहीं है i कृपया इसके मीटर से अवगत कराएं i आपकी रचना उत्तम है i सादर i
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