मेरी पलकों को......एक रचना
मेरी पलकों को अपने ख़्वाबों की वजह दे दो
अपनी साँसों में मेरे जज़्बातों को जगह दे दो
जिसकी नमी तुम ये दामन सजाये बैठी हो
उसके रूठे सवालों को जवाबों में जगह दे दो
बंद हुआ चाहती हैं अब थकी हुई पलकें मेरी
अपनी तन्हाई में रूहानी रातों को जगह दे दो
ये ज़िंदगी तो गुज़र जाएगी तेरे हिज्र के सहारे
इन हाथों में कुछ रूठे हुए वादों को जगह दे दो
कल का वादा न करो कि अब न कल आएगा
अपने रुख़्सार पे पिघले लम्हों को जगह दे दो
सुशील सरना
Comment
आदरणीया राजेश कुमारी जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार।
वाह
आदरणीय सुशील सरना जी //जिसकी नमी तुम ये दामन सजाये बैठी हो
उसके रूठे सवालों को जवाबों में जगह दे दो// ....वाह , सुन्दर रचना पर आपको हार्दिक बधाई ! सादर
बहुत सुन्दर रचना आ० सुशील सरना जी हार्दिक बधाई
आदरणीय डॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल सराहना का हार्दिक आभार।
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी रचना पर आपकी मधुर सराहना का हार्दिक आभार।
आदरणीय डॉ विजय शंकर जी प्रस्तुति पर आपकी मधुर सराहना का हार्दिक आभार।
आदरणीय maharshi tripathi जी प्रस्तुति पर आपकी मधुर प्रशंसा का हार्दिक आभार।
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी प्रस्तुति पर आपकी सराहना का हार्दिक आभार।
आ----हा---- आ० सरना जी i बेहतरीन दिल में पैठ बनाती गजल i आपको बधाई i
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