छाई रंगों की मधुर फुहार
रंगीली आई होली
सखी री आई होली
अंग सजन के रंग लगाऊँ
मन ही मन में खूब लजाऊँ
फगुनिया चलती बयार
सखी री आई होली
नेह में डूबी पवन बावरी
मन मंदिर में पी छवि सांवरी
नथुनिया की होठों से रार
सखी री आई होली
शाम सिंदूरी अति हर्षाये
अखियों से मदिरा छलकाए
चंदनियाँ करे मनुहार
सखी री आई होली
चम्पा चमेली गजरे में महके
दर्पण देख के मनवा लहके
बिंदिया चमके लिलार
सखी री आई होरी
मुख में दबाये पान का बीडा
हर लेते वो मेरी मन पीड़ा
सखि बहियों के डालूँ हार
रंगीली आई होली
मौलिक व अप्रकाशित
कल्पना मिश्रा बाजपेई
Comment
आ० डिम्पल गौर 'अनन्या' जी / आ० मिथिलेश वामनकर जी /आ० somesh kumar जी /आ० गिरिराज भंडारी जी /
आ० लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी /आ० Dr.Prachi Singh जी /आ० khursheed khairadi जी आप सभी माननीय वरिष्ठ जनों का
हार्दिक आभार /सादर
चम्पा चमेली गजरे में महके
दर्पण देख के मनवा लहके
बिंदिया चमके लिलार
सखी री आई होरी
आदरणीया कल्पना जी लोकगीतों की सी महक लिए ,बहुत ही मधुर गीत है ......बहुत सुन्दर राग है ...सखी री आयी होली ..इस टेर पर मन झूम उठा है |सादर अभिनन्दन |
आंचलिक शैली में बहुत सुन्दर मनभावन होली गीत प्रस्तुत किया है प्रिय कल्पना मिश्रा बाजपेयी जी... बहुत सुन्दर शब्द चित्र उकेरा है होली का
बहुत बहुत बधाई
होली के सरस रंग ह्रदय में लिए रचित सुंदर रचना के लिए बधाई आदरणीया कल्पना मिश्रा जी
आदरणीय कल्पना जी , सुन्दर होली गीत के लिये बधाई आपको ॥
आंचलिक शब्दों की भरमार
और होली का त्योहार
रंग-बिरंगी कविता पर
बधाई करें स्वीकार |
बहुत ही सुन्दर... आपकी रचना ने तो होली के सभी रंग बिखरा दिए हैं...बधाई आपको आदरणीया कल्पना मिश्रा जी |
आ० krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी आभार /सादर
आ० Hari Prakash Dubey सर आपका आभार /सादर
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