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छन्द – छन्न पकैया ( सार छंद ) -- ( गिरिराज भंडारी )

छन्द – छन्न पकैया

********************

छन्न पकैया छन्न पकैया , होली फिर से आई

बूढ़े बाबा की भी देखो , जागी है तरुणाई

 

छन्न पकैया छन्न पकैया , रंग प्यार का लेके

लूले लंगड़े भी दौड़े जो , चलते हैं ले दे के

 

छन्न पकैया छन्न पकैया, होली बड़ी निराली

कौवा रंग लगा के पूछे , कैसी लगती लाली

 

छन्न पकैया छन्न पकैया , आ जा भंग चढ़ायें

फिर बैठे बैठे घर में ही, आसमान तक जायें    

 

छन्न पकैया छन्न पकैया , सूना सूना लागे

जिनके मित्र हुये परदेशी, लगते मुझे अभागे

 

छन्न पकैया छन्न पकैया , सारे बंधन तोड़ो

मन कहता है आज न रोको, मुझको खुल्ला छोड़ो

छन्न पकैया छन्न पकैया , होगी छेड़ा छाड़ी

हुड़दंगी की टोली आई , रंगों की ले गाड़ी

*******************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

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Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 3, 2015 at 3:30am

आ: बिलकुल सही कहा आपने 

छन्न पकैया छन्न पकैया , सूना सूना लागे

जिनके मित्र हुये परदेशी, लगते मुझे अभागे 

बहुत खूबसूरत रचना बधाई ......सादर 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 2, 2015 at 11:57pm

होली का रंग चढ़ा दिया..अन्दर ही अन्दर मन गुदगुदा दिया...बहुत बहुत बधाई आदरनीय!!

Comment by नादिर ख़ान on March 2, 2015 at 11:35pm
छन्न पकैया छन्न पकैया , रंग प्यार का लेके
लूले लंगड़े भी दौड़े जो , चलते हैं ले दे के

छन्न पकैया छन्न पकैया, होली बड़ी निराली
कौवा रंग लगा के पूछे , कैसी लगती लाली

आदरणीय गिरिराज जी अतिसुंदर सार छन्द, होली के रंग मे रंगे हुए अड्वान्स मे होली की शुभकामनाएँ ...

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 2, 2015 at 11:00pm

आदरणीय गिरिराज भाई साहब, होली के रंगों से सराबोर सभी छन्न सुन्दर बन पड़ें हैं, बहुत बहुत बधाई आदरणीय.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 2, 2015 at 10:31pm

रंगोत्सव पर आपकी छन्न पकैया बड़े कमाल के साथ, धमाल कर गई, आदरणीय गिरिराज जी. पहले दो छंद तो बड़े लाजवाब लगे. वैसे होली का त्यौहार होता ही कुछ ख़ास. बहुत बहुत बधाई व् शुभकामनाएं ,सर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 2, 2015 at 8:36pm

हा हा हा.......  पहले दो सार छंद पदों ने खूब गुदगुदाया..... बहुत ही मधुर और दिल को लुभाती रचना. होली का सही रंग इस रचना से उभरा है.... होली की गुदगुदी है इस छन्न पकैया के लिए आभार आदरणीय गिरिराज सर... होली की मस्ती को सार्थक शब्द दिए आपकी कलम ने. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 2, 2015 at 8:32pm

आदरणीय विजय भाई , छंद रचना के प्रयास की सराहना के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 2, 2015 at 8:31pm

छन्न पकैया छन्न पकैया ,याद तुम्हारी आई 

परदेसी को बिन सजनी के  ,होली नहीं सुहाई  --  बहुत खूब , आदरनीय खुर्शीद भाई , सराहना और इस छंद के लिये आपाका आभारी हूँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 2, 2015 at 8:29pm

आदरणीया  महिमा श्री जी , छंद प्रयास की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ॥

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 2, 2015 at 8:14pm
होली के सब रंग बढ़ाती छन पक्कैयाओं के लिए बधाई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, सादर।

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