रात की रानी अस्पताल में,
तुम फिर से मुस्कराया करो !!
बिस्तर पर लेटी राज दुलारी ,
पर उसको चोट लगी है भारी ,
लौटा दो फिर से उसकी हँसी,
उसे धीरे से गुदगुदाया करो !
रात की रानी अस्पताल में,
तुम फिर से मुस्कराया करो !!
तरह - तरह के मर्ज पड़े है,
जाने कितने दुःख-दर्द पड़ें हैं,
पीड़ा कम हो जाए उनकी,
ऐसा मरहम लगाया करो !
रात की रानी अस्पताल में,
तुम फिर से मुस्कराया करो !!
कुछ लोगों का रोग है भारी,
असाध्य है उन सबकी बीमारी,
देखी नहीं जाती अब लाचारी,
उन्हें भी रोशन कर जाया करो !
रात की रानी अस्पताल में,
तुम फिर से मुस्कराया करो !!
कुछ के मन में सूनापन है
दुर्गन्ध भरा उनका जीवन है
जीने की अब चाह नहीं है
उन्हें रोज-रोज महकाया करो !
रात की रानी अस्पताल में,
तुम फिर से मुस्कराया करो !!
मौत के मुहँ में पढ़ी जिंदगी
अंतिम साँसे मांग रही है
मौत से लडती जिंदगी को
अमरत्व से भर जाया करो !
रात की रानी अस्पताल में,
तुम फिर से मुस्कराया करो !!
देखो जा रही है एक अरथी,
लिए साथ में चार सारथी,
तुम तो कन्धा दें नहीं सकती
उसपर फूल ही बरसाया करो
रात की रानी अस्पताल में,
तुम फिर से मुस्कराया करो !!
तुमको काट दिया लोगों ने
जड़ से उखाड़ दिया लोगों ने
तुम भी अमरबेल बनकर
बार-बार उग जाया करो !!
रात की रानी अस्पताल में,
तुम फिर से मुस्कराया करो !!
© हरि प्रकाश दुबे
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय हरि प्रकाश भाई , बहुत सुन्दर नवगीत रचना हुई है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।
आ० हरि प्रकाश जी
सुन्दर रचना के लिय धन्यवाद .
सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिये आपको बधाइयाँ । |
Aadarniya Hari Prakash Dubey Ji,
Bahut hi marmik wa hridaysparshi rachna . Sahi hai hospitals main kafi dard hai --- Har tarah ki raat ki rani chahiye... Sundar rachna wa sundar bhawon yukt rachna ke liye dheron-2 badhai.
बधाई भावपूर्ण रचना के लिये ....रात की रानी की सब को जरूरत है
देखो जा रही है एक अरथी,
लिए साथ में चार सारथी,
तुम तो कन्धा दें नहीं सकती
उसपर फूल ही बरसाया करो
रात की रानी अस्पताल में,
तुम फिर से मुस्कराया करो !
सुन्दर!रचना पर बधाई आदरणीय!
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