2122 2122 2122 212
****************************
जब धरा पर रह न पाये जो कभी औकात से
चाँद पर पहुँचो भले ही क्या भला इस बात से
****
मुफ्तखोरी की ये आदत यार चोरी से बुरी
चोर भी समझा रहा ये बात हमको रात से
****
बाँटने में हर हुकूमत, व्यस्त है खैरात ही
देश का, खुद का भला कब, हो सका खैरात से
*****
हो न पाये कौवे शातिर, लाख कोशिश बाद भी
बाज आयी कोयलें कब, दोस्तों औकात से
*****
प्यार होना भी जरूरी औ’ जरूरी दौलतें
चल नहीं पाती अकेले, जिन्दगी जज्बात से
*****
बेअसर हमको तो धूपें जेठ की भी हो गयीं
भीगता पलपल है दामन, अश्क की बरसात से
*****
छोड़ दें इससे ‘मुसाफिर’, स्वप्न का भी स्वप्न क्या
लड़ न पाये स्वप्न को गर यार हम हालात से
*****
मौलिक और अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’
Comment
आ0 भाई श्याम मठपाल जी, प्रशंसा के लिए आभार ।
आ0 राजेश दी,स्नेहाशीष और सुझाव के लिए आभार । आपका सुझाव बेहतरीन है इसे तहेदिल से स्वीकार लिया है और संशोधन के लिए शीध्र प्रस्तुत कर दिया जाएगा । धन्यवाद।
आ0 भाई विजय जी,प्रश्शंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
आ0 भाई नादिर जी, गजल को अत्यधिक मान देने हेतु आभार ।
आ0 भाई कृष्णा जी, विस्तृत प्रतिक्रिया और उत्साहवर्धन के लिए कोटि कोटि धन्यवाद ।
वाह !!कमाल की गजल है आ. laxman dhami जी ,,,बहुत बहुत बधाई |
बहुत खूब ! इस सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें । |
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , इस सुन्दर रचना पर बधाई प्रेषित ! सादर
आ० धामी जी बहुत बढ़िया मित्र .
जब धरा पर रह न पाये जो कभी औकात से
चाँद पर पहुँचो भले ही क्या भला इस बात से
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत उम्दा और बेहतरीन ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद हाज़िर है.
आदरणीया राजेश दीदी ने क्या सुन्दर सुझाव दिया है और मिसरा भी खूब सुझाया है -
धूप हम पर जेठ की भी बेअसर सी हो गई
भीगता पलपल है दामन, अश्क की बरसात से............ वाह वाह
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online