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ग़ज़ल---तू आज नहीं आयी तो जान ये जानी है

221 1222 221 1222

तू आज नहीं आयी तो जान ये जानी है
मैं रोज कहूँ ऐसा ये बात पुरानी है
......
कुछ वादे तेरे झूठे कुछ तोड दिये मैंने
ये कैसी मुहब्बत है ये कैसी कहानी है
...
बस चाँद सितारे हैं जो साथ जगे मेरे 
उनके ही सहारे से अब याद भुलानी है
..
जिस रोज उतर जाये उस रोज चले आना
कुछ दिन ही चलेगा बस ये जोश जवानी है
....
सच यार कहूँ दिल से हैं  बात ये सब झूठी
तेरा मैं  दिवाना हूँ तू मेरी दिवानी है
--------------
उमेश कटारा 
मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by umesh katara on March 25, 2015 at 8:42am

आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आभार

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 25, 2015 at 8:14am

बहुत खूब ..वाह 

Comment by umesh katara on March 25, 2015 at 7:15am

आदरणीय JAWAHAR LAL SINGH जी आभार

Comment by umesh katara on March 25, 2015 at 7:15am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 24, 2015 at 11:16pm

आदरणीय उमेश भाई जी , बेहतरीन ग़ज़ल हुई है , क्या बात है , हार्दिक बधाइयाँ आपको

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 24, 2015 at 10:25pm

बेहतरीन गजल!

Comment by umesh katara on March 24, 2015 at 8:54pm

आदरणीय  Samar kabeerजी आभार

Comment by Samar kabeer on March 24, 2015 at 5:02pm
जनाब उमेश कटारा जी,आदाब,सुन्दर ग़ज़ल के लिये बधाई स्वीकार करें,इस मिसरे की तरफ़ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा :-

"उनके ही सहारे से तेरी याद भुलानी है"

बह्र से ख़ारिज हो रहा है,देख लीजिएगा ,कृपया अन्यथा न लें |
Comment by umesh katara on March 23, 2015 at 9:26pm

आदरणीय somesh kumar जी आभार

Comment by somesh kumar on March 23, 2015 at 8:44pm

जिस रोज उतर जाये उस रोज चले आना
कुछ दिन ही चलेगा बस ये जोश जवानी 

जब कोई तुम्हारा हृदय तोड़ दे गीत की याद आ गई 

तू आज नहीं आयी तो जान ये जानी है
मैं रोज कहूँ ऐसा ये बात पुरानी है-

आज के प्यार करने वालों का 90 % इसमें फीट हो जाए 

बधाई !भाईजी 

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