For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


कहते हैं इल्ज़ाम छुपाकर रक्खा है
मैंने तेरा नाम छुपाकर रक्खा है.
.
झाँक के देखो मेरी इन आँखों में तुम
अनबूझा पैग़ाम छुपाकर रक्खा है.
.
शायद वो हो मुझ से भी ज़्यादा प्यासा
उसकी ख़ातिर जाम छुपाकर रक्खा है.
.
जिसको तुम सब कहते हो ईमाँ वाला,
उसने अपना दाम छुपाकर रक्खा है.
.  
आया है वो आज जुबां पर गुड लेकर
शायद कोई काम छुपाकर रक्खा है.
.
मस्जिद की दीवार किनारे तुलसी ने
अपने मन का राम छुपाकर रक्खा है.  
.
लोग भला समझेंगे इस रिश्ते को क्या
‘नूर’ इसे गुमनाम छुपाकर रक्खा है.
.
नूर 

मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 673

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 23, 2015 at 2:48pm

शुक्रिया आ. सौरभ सर ...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 23, 2015 at 2:45pm

मस्जिद की दीवार किनारे तुलसी ने
अपने मन का राम छुपाकर रक्खा है.  ... .  ग़ज़ब !

लोग भला समझेंगे इस रिश्ते को क्या
‘नूर’ इसे गुमनाम छुपाकर रक्खा है. ..........  हाथ से छू न देना..

दाद कुबूल करें, आदरणीय..

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 27, 2015 at 12:54pm

शुक्रिया आ. जितेन्द्र भाई ..पुन: सक्रीय होने की कोशिश में हूँ 
सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 27, 2015 at 11:25am
मस्जिद की दीवार किनारे तुलसी ने
अपने मन का राम छुपाकर रक्खा है....वाह! क्या कहने. बहुत उम्दा, दिली दाद कुबुलें आदरणीय निलेश जी
Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 27, 2015 at 9:04am

शुक्रिया आ. सेठी साहब.

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 27, 2015 at 7:06am

वाह ...हर शेर लाजवाब ...बधाई ...सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 26, 2015 at 11:47pm

शुक्रिया आ. भंडारी जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 26, 2015 at 11:46pm

शुक्रिया मिथिलेश जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 26, 2015 at 11:28pm

मस्जिद की दीवार किनारे तुलसी ने
अपने मन का राम छुपाकर रक्खा है.   ------ लाजवाब !! गज़ल के लिये और इस शे र के लिये हार्दिक बधाइयाँ ॥
 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 26, 2015 at 9:37pm

आदरणीय निलेश जी बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल हुई है.... हार्दिक बधाई.... काम और राम काफिया वाले अशआर कमाल के है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
12 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service