For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ए रांड....." - परीक्षा देकर निकलते ही ऊँची आवाज में सीसा घोलती गाली वर्षा के कानों में पड़ी.. मुड़कर देखा तो संतोष सिगरेट के छल्ले उड़ाते हुवे अपने मित्रों के साथ उसकी तरफ देख कर ठहाके लगा रहा था. वही जिसके प्यार को पिछले साल ठुकरा दिया था.. अपमान के एहसास से आँखों में आंसू आ गए .. पर वह चुपचाप वहां से चल दी.. क्या कहती ?

घर पहुँच कर देखा .. मुन्नी सो रही थी 

"वर्षा कल का पेपर कैसे देगी.. कोर्ट की तारीख आगे बढ़वा लेती" माँ रसोई से आते आते बोली 

"माँ कॉलेज की परीक्षा तो अगले साल फिर आएगी .. पहले उन दरिंदों को सजा दिलवाकर जिंदगी की एक परीक्षा तो पास करूँ" 

कहते हुवे मुन्नी को दूध पिलाने लगी ..थी तो  दरिंदों में से ही किसी एक का बेटी ... पर उसका क्या कसूर था.....बस प्यार से मुन्नी के बाल सहलाती रही 

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 654

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on April 14, 2015 at 3:27pm

लघुकथा कहने का सद्प्रयास हुआ है आ० निधि अग्रवाल जी। स्मरण रहे कि पंच अथवा चोट को लघुकथा की जान माना जाता है। इस पंच का अभाव है अभी आपकी लघुकथा में। इसको दोबारा पढ़ें और काट-छील कर शार्प करने का प्रयास करें।

Comment by Nidhi Agrawal on April 14, 2015 at 11:00am

आपका t बहुत धन्यवाद आदरणीय राजेश कुमारी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 13, 2015 at 9:16pm

आज इसी हिम्मत  और आत्मविश्वास की जरूरत है हर लड़की को ..बहुत अच्छी लघु कथा लिखी निधि जी हार्दिक बधाई 

Comment by Nidhi Agrawal on April 13, 2015 at 11:49am

आदरणीय जीतेन्द्र जीकांता जीशिज्जू जी एवं जवाहर लाल जी.. रचना पर आपकी उपस्थिति और प्रेरणा दाई प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .. ये मेरी पहली लघुकथा की कोशिश थी .. शायद उतनी सही नहीं बनी इसलिए सभी गुणीजनों और गुरु मंच की नजर नहीं पढ़ी .. मुझे लगता है और कसाव की जरुरत है .. आशा है मेरी अगली रचना मंच को और पसंद आये ..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 13, 2015 at 11:29am

सामयिक विषय पर अच्छी लघुकथा साझा की, आदरणीया निधि जी. बधाई

Comment by kanta roy on April 12, 2015 at 2:09pm
हिम्मत देती हुई एक मिशाल है यह रचना । लाख परेशानी आये लेकिन जुर्म के आगे कभी झुकना नही है ..टुटना नही है । एक सोच एक उम्मीद से भरी हुई बेमिसाल रचना के लिए बधाई स्वीकार करे आदरणीय निधि अग्रवाल जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 12, 2015 at 1:04pm

बेहतरीन संदेश देती रचना है हमें किसी भी हाल में हिम्मत नहींं छोड़ना चाहिये

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 10, 2015 at 7:49pm

"माँ कॉलेज की परीक्षा तो अगले साल फिर आएगी .. पहले उन दरिंदों को सजा दिलवाकर जिंदगी की एक परीक्षा तो पास करूँ" - यही है स्त्री की असली परीक्षा जिससे उसे हर हाल में निपटाना होता है    बेहतरीन अंदाज में प्रस्तुत लघुकथा अपनी मकसद में कामयाब रही है सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service