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छोड़ दूँ अब कुंवारा नगर मैं पिया
काट लूँ सँग तुम्हारे सफर मैं पिया
मन न माने मगर क्या बताऊँ तुम्हें
साथ दोगे चलूंगी सहर मैं पिया
पंखुड़ी खिल गयी राग पाकर कहीं
बेज़ुबां अब न खोलूं अधर मैं पिया
मौत का गम नहीं साथ तुम हो मेरे
मुस्करा के पिउंगी जहर मैं पिया
अब तुम्हारे सिवा कुछ न चाहूंगी मैं
दिल मिलाओ मिलाऊं नज़र मैं पिया
दूर से देखकर आज रुकना नहीं
साथ चलकर ही पाऊँ शिखर मैं पिया
भावना में कहीं बह न जाऊं “निधि”
जिंदगी में तुम्हारी लहर मैं पिया
निधि
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
सही कहूँ तो आज आपने वाकई हमें चौंका दिया, आदरणीया निधिजी. हिन्दी मनोभावनाओं की भूमि पर कही जा रही ग़ज़लों की जो अंतर्धारा होती है, आपकी ग़ज़ल उस धार में बही जाती दिखी. आपके इस उन्मुक्त प्रयास से मन उत्फुल्ल है.
ऐसी ग़ज़लों की अंतर्धारा गीतात्मक हुआ करती है.
फिर, शिल्प पर आपको इस शिद्दत से लगे देखना अपार संतोष का कारण बना है. आप सतत प्रयासरत रहें. सब सधता जा रहा है.
छोड़ दूँ अब कुंवारा नगर मैं पिया
काट लूँ सँग तुम्हारे सफर मैं पिया .. संग को सँग न लिखें. इस हिसाब संग तुम्हारे से संग तेरे करना उचित होगा, इसके बावज़ूद शुतुर्ग़ुर्बा का दोष नहीं आ रहा.
मन न माने मगर क्या बताऊँ तुम्हें
साथ दोगे चलूंगी सहर मैं पिया ......... सहर ? इसका माने तो सवेरा होता है. आप संभवतः शहर कहना चाह रही हैं.
पंखुड़ी खिल गयी राग पाकर कहीं
बेज़ुबां अब न खोलूं अधर मैं पिया.. ... सही .. :-))
मौत का गम नहीं साथ तुम हो मेरे
मुस्करा के पिउंगी जहर मैं पिया ........... वाह -वाह !
मुस्करा = मुस्कुरा ; पिउंगी = पियूँगी
अब तुम्हारे सिवा कुछ न चाहूंगी मैं
दिल मिलाओ मिलाऊं नज़र मैं पिया....... इसे तनिक और कसना था.
भावना में कहीं बह न जाऊं “निधि”
जिंदगी में तुम्हारी लहर मैं पिया ............ बहुत खूब !
मेरी नज़र से गुजरे आपके इस प्रथम सार्थक प्रयास पर हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाइयाँ.
आदरणीया निधि जी , बढ़िया गज़ल कही है आपने , दिली बधाईस्वीकार करें ॥
जिस लफ़्ज़ - सहर ( सवेरा ) का आपने उपयोग किया है , मै अर्थ नही समझ पाया ॥
आदरणीया निधि अग्रवाल जी, इस सुन्दर रचना पर बधाई आपको ! सादर
निधि जी
आपकी इस गजल में मोहकता है मिठास है , मार्दव है ,मृदुता है . सादर.
मौत का गम नहीं साथ तुम हो मेरे
मुस्करा के पिउंगी जहर मैं पिया
सुन्दर गजल पर बधाईयां निधि जी!
छोड़ दूँ अब कुंवारा नगर मैं पिया
काट लूँ संग तुम्हारे सफर मैं पिया
मौत का गम नहीं साथ तुम जो मेरे
मुस्करा के पिउंगी जहर मैं पिया पीउंगी
वाह निधि जी वाह, बहुत ही प्यारी ग़ज़ल हुई दाद देता हूँ.
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