गर्मी में भीग जाते हैं
पसीने से
ठंढ में खड़े हो जाते हैं
रोयें...
हमारी त्वचा
तुरंत परख लेती है
मौसम परिवर्तन को
धूल-कण आने से पहले
बंद हो जाती हैं पलके
उन्हें पता चल जाता है
है कोई खतरा
सुगंध और दुर्गन्ध में
अंतर करना जानती हैं
ये नासिका
खट्टा, मीठा, तीखा सब
हमारी जिह्वा
हल्की सी आहट को
पहचान लेते हैं
हमारे कान
अर्थात
सभी अंग संवेदनशील हैं
हृदय के सिवाय
कर्तव्य पथ में
कभी आड़े नहीं आती
हृदय की संवेदनशीलता
चाहे कोई जले या मरे
हम हैं.....
संवेदनशील अंगों वाले
असंवेदनशील लोग
भाषण चालू है....
(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट =>लघुकथा : विरोध
Comment
समसामयिक विषया पर तीक्ष्ण प्रहार. तहेदिल से बधाई.. मेरा मानना है कि बुद्धि अति ध्रुष्ट होती है.....ह्रुदय चाहकर भी कुछ नहीं कर पाता है. सादर,
ज्वलंत मुद्दे पर आपने एक बेहद संवेदनशील रचना रची है बहुत बहुत बधाई आपको
आदरणीय गणेश भाईजी
हृदयहीन हैं इसीलिए हम, राजनीति में आये हैं।
जब सैकड़ों झूठे वादे किए, तब मंत्री पद पाये हैं ॥
जो जग से जाना चाहे , कौन रोक उसे पाएगा ?
भाषण बाजी चलती रहे, टीआरपी बढ़ जाएगा॥
किस्मत वाला किसान था, हर चैनल्स पर छाया है।
आत्महत्या से चमक गया, “ आप” को भी चमकाया है॥
घर परिवार समाज और भारत के बड़े विद्यालयों से जैसी शिक्षा और संस्कार आज बच्चे पा रहे हैं उसमें करुणा सेवा संवेदना आदि भावों के लिए कोई स्थान नहीं है। टीवी अखबार और आज के गुरू सिखाते हैं ... “ ज़िद करो दुनिया बदलो ” । अब तो ऐसी घटनायें होती ही रहेंगी।
सोचने पर मज़बूर करती इस रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi" जी सार्थक रचना के लिये बधाई .....अपने दुःख सुख तो नज़र आते हैं मगर जब बात दूसरों तक पहुंचे तो दिल की मर्जी ...सादर
इस शानदार प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ! सादर |
बहुत ही बढ़िया ... बहुत सामयिक एवं सलीके से कही गयी बात ..... ऐसे लोग इंसानियत के नाम पर कलंक हैं। वक्त साबित करेगा कि ये लोग नीरो को भी पीछे छोड़ देंगे ...
जिस शरीर के सभी अंग भगवान् ने इतने संवेदन शील बनाए हैं वही इंसा हृदय से इतना असंवेदन कैसे हो गया की कोई सामने मरता रहे और वो दूर खड़ा तमाशा देखता रहे धिक्कार है ऐसे मानव जीवन पर ....बहुत कुछ कहती आपकी ये रचना दिल में गहरे तक पैठ गई
बहुत बहुत बधाई इस रचना पर आ० गणेश जी .
आदरणीय जीतेन्द्र जी, आपकी सराहना युक्त टिप्पणी उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार.
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