For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“माँ! तुम कह रही थी न,  शादी कर ले ! सोचता हूँ, कर ही लूँ।“

“कोई पसंद है क्या ? बता दे ?”

“हाँ पसंद तो है । मेरे साथ काम करती है। तुम्हें और पिता जी को ऐतराज तो नहीं होगा ?“

“हमें क्यों ऐतराज होगा भला ! तेरी खुशी में ही हमारी खुशी है। पर हाँ! लड़की मांगलिक नही होनी चाहिए!, अपने से छोटी जाति की भी नहीं , और स्वागत में कोई कमी भी न हो !“

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 679

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on May 1, 2015 at 5:53pm

आ. जितेन्द्र जी, आपकी सकरात्मक प्रतिक्रिया के लिए आभार

Comment by MAHIMA SHREE on May 1, 2015 at 5:51pm

आ. लक्ष्मण सर, अापका आभार , पर आपने ठीक से पढ़ा नहीं  शायद..सादर

Comment by MAHIMA SHREE on May 1, 2015 at 5:49pm

आदरणीय विजय शंकर सर .. कथा पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार, सादर

Comment by Vivek Jha on May 1, 2015 at 12:30pm

अच्छी लघुकथा है महिमा दी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2015 at 12:25pm

आदरणीया महिमा जी , अच्छी लघुकथा और सटीक शर्तें  !! आपको कथा के लिये बधाई ॥


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 1, 2015 at 12:02pm

महिमा श्री लघुकथा ये हुई !

इस सुन्दर प्रस्तुति को पढ़ गया और बिना किसी मॉडिफिकेशन के बने रहने दे रहा हूँ. नो इफ़्स-बट.. जो है सो ऐसे ही..

बहुत-बहुत बधाई..

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 1, 2015 at 11:59am

वाह महिमा जी -------------कोई ऐतराज न रहने पर इतने प्रतिबन्ध .बहुत कम शब्दों में आपने दमदार बात की . बधाई .

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 1, 2015 at 11:15am

सुंदर प्रस्तुति ,आदरणीया महिमा जी. आजकल या कहें हमेशा से रिश्तों में शर्तें तो ऐसे ही लागू रही है या होती रहीं है.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 1, 2015 at 10:59am

कोई एतराज नहीं पर हाँ - - - - - - - - पर लड़की के मौन ने सब कह दिया | सुंदर लघु कथा के लिए बधाई 

Comment by Dr. Vijai Shanker on May 1, 2015 at 9:58am
ऐतराज नहीं , सिर्फ शर्तें हैं , कुछ बीस- पचीस.
लघु - कथा अच्छी है, बधाई , आदरणीय सुश्री महिमा श्री जी, सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service