For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुक्ति (लघुकथा)/रवि प्रभाकर

‘आज तो लाला ने भी और मोहलत देने से साफ मना कर दिया । समझ नहीं आ रहा अब क्या होगा? बैंक की किश्तें, अगले महीने छोटी की शादी... इस बेमौसमी बरसात ने हमें कहीं का नहीं छोड़ा ।’ साहूकार की दुकान से बाहर निकलते हुए परेशानी के आलम में वो अपने साथी से बोला
‘सब्र से काम लो भाई ! अब जो भगवान को मंजूर ... अरे ! उधर क्या करने जा रहे हो ... उस तरफ तो बाजार है ?’
‘एक रस्सी लेने...।’

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 862

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savitamishra on May 14, 2015 at 10:46pm

रस्सी ही रह गयी हैं अब बेचारो की किस्मत में ...सादर नमस्ते भैया ...बढ़िया कथा

Comment by Ravi Prabhakar on May 14, 2015 at 6:00pm

लघुकथा को अपना अमूल्‍य समय देने हेतु आदरणीय जितेन्‍द्र भाई, आदरणीय श्‍याम नारायण वर्मा, आदरणीय माला झा, आदरणीय चंद्रेश भाई, आदरणीय विनय भाई, आदरणीय अमन कुमार जी, आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, आदरणीय डॉ आशुतोष जी, आदरणीय कृष्‍ण मिश्रा जी, आदरणीय विजय निकोर जी का बहुत बहुत धन्‍यवाद । आदरणीय अमन कुमार जी साहूकार (आढ़तीयों) की गद्दियां प्राय अनाज मंडियों में हुआ करती हैं और आम जरूरत की चीजों लिए दुकानें अलग बाजार में होती है । सादर ।

Comment by vijay nikore on May 14, 2015 at 4:39pm

अच्छी लघुकथा के लिए बधाई।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 14, 2015 at 3:22pm

संवेदनशील विषय पर बेहतरीन लघुकथा! हार्दिक बधाई आ० प्रभाकर सर!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 14, 2015 at 6:07am

आदरणीय रवि जी .मजबूर आदमी और क्या करे,,दिल को छू लेने वाली रचना ..लेकिन ऐसी परिस्थित में आदमी को हौसले से काम लेना चाहिए ..यह कदम लोग उठा लेते हैं लेकिन ये गलत है ,,,इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 13, 2015 at 9:56pm
बहुत ही प्रभावकारी लघुकथा।
आदरणीय रवि जी इस उत्कृष्ट प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई।
आदरणीय अमन जी के विचार से मैं भी सहमत हूँ। सादर।
Comment by विनय कुमार on May 13, 2015 at 6:50pm

बहुत मार्मिक , मौजूं और बेहतरीन लघुकथा | बधाई आदरणीय.

Comment by aman kumar on May 13, 2015 at 3:54pm

साहूकार की दुकान बाजार मे नही थी क्या ? 

कथा का सार अच्छा है ,,,,

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on May 13, 2015 at 2:47pm

जब  किये गए कर्म का  उचित फल नहीं मिलता, तो नकरात्मक उर्जा कर्म के अनुसार विपरीत और बराबर उत्पन्न  हो ही जाती है| फिर व्यक्ति उसके अनुसार कुछ न कुछ गलत कर ही बैठता है| इतने बड़े सिद्धांत को कुछ पंक्तियों में सहज ही समझा दिया आपने आदरणीय रवि प्रभाकर जी सर| नमन आपको| 

Comment by Mala Jha on May 13, 2015 at 1:32pm
बेहद संवेदनशील विषय पर लिखी सुन्दर लघुकथा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदाब, आदरणीय,  ' नूर ' मैंने आपके निर्देश का संज्ञान ले लिया है! "
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बहुत बहुत आभार आ. सौरभ सर ..आप से हमेशा दाद उन्हीं शेरोन को मिलती है जिन पर मुझे दाद की अपेक्षा…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद और कामयाब अश'आर पर…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service