For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुमनाम कर्म (लघु कथा)

"साहब ये देखिये लहलहाता खेत, दो साल पहले यहाँ बंजर जमीन थी, हम लोग जब इसे उपजाऊ बना सकते हैं तो आसपास की सारी ज़मीन क्यों नहीं?"

"बिलकुल ठीक है, इस गाँव के लिये जितने भी रुपयों का आपने प्रस्ताव भेजा है, वो मंजूर किया जाता है|"

खेत के एक कोने में हरी चुपचाप खड़ा था, उस अकेले की दो साल की मेहनत के बाद कम से कम चौधरी जी तो गुमनामी के अँधेरे से बाहर आये, जिनका पूरा परिवार अब गहनों, कपड़ों और देश विदेश की यात्राओं का हिसाब लगाने में मग्न था|

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 601

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 9, 2015 at 12:23am

आपने समाज के उस वर्ग के किये की चिन्ता की है आदरणीय जिसके किये पर एक वर्ग ऐश करता है. शोषित-शोषक का सम्बन्ध हो या बुर्जुआ-सर्वहारा का. जो है वह यही है कि तंत्र नाम भर का लोक का प्रत्यय पा सका है. अन्यथा कर्मवालों की नहीं पहुँचवालों की सत्ता है, सत्ता के सुख हैं.
इस लघुकथा के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ.

भाई शुभ्रांशुजी ने बहुत ही तथ्यात्मक सुझाव दिये हैं, आदरणीय.
शुभ-शुभ

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on July 5, 2015 at 10:32pm

आप सभी आदरणीय जनों का हृदय से आभारी हूँ, आप ने रचना को पसंद किया| आप सभी की सराहना से मेरा मनोबल बढ़ा है| पुनः आभार |

आदरणीय शुभ्रांशु पाण्डेय जी, आपका सुझाव सर आखों पर, आपका बहुत धन्यवाद लघु कथा की तह तक जाकर विश्लेषण के लिये|

Comment by Shubhranshu Pandey on July 5, 2015 at 11:16am

आदरणीय चन्द्रेश जी, 

सुन्दर कथा. किसी और के मेहनत पर मौज उडा़ने वालों की कमी नहीं है. हरी की मेहनत पर चौधरी तारीफ़ बटोर रहे हैंं. 

एक बात ये है कि चौधरी जी के गुमनामी मे जाने का भाव स्पष्ट नहीं हो पा रहा है. हरी ने किसकी जमीन पर मेहनत की है? कुछ भाव स्पष्ट हो जाये तो कथा निखर कर आयेगी. 

सादर.

Comment by shree suneel on July 4, 2015 at 1:39am
शीर्षक को सार्थक करती अच्छी लघु-कथा आदरणीय चंद्रेश जी. बधाई इस समर्थ प्रस्तुति पर आपको.
Comment by Omprakash Kshatriya on July 3, 2015 at 9:04am

आदरणीय  Chandresh Kumar Chhatlani  जी 

आप ने बहुत गहरी बात कह दी . 

बधाई इस लघुकथा के लिए .

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 3, 2015 at 7:37am
बहुत सटीक और सार्थक कथा।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 3, 2015 at 1:12am

बहुत बढ़िया लघुकथा 

हार्दिक बधाई आपको आदरणीय चंद्रेश जी

शीर्षक के लिए विशेष बधाई .... शीर्षक के अनुरूप ही सार्थक लघुकथा 

Comment by maharshi tripathi on July 2, 2015 at 11:40pm

वाह !!"करे कोई पाए कोई " को चरितार्थ करती बढ़िया लघुकथा पर आपको बधाई |मजदूरों \किसानो की एहमियत हमें समझनी चहिये |

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on July 2, 2015 at 10:43pm
आदरणीय भाई जी क्या बात है नपे तुले शब्दो में बहुत भी सुन्दर कथा लिखी है आपने। चंद्रेश जी दिल से बधाई स्वीकार करे इस बेहतरीन लघुकथा के लिये।
Comment by विनय कुमार on July 2, 2015 at 9:19pm

मेहनत किसी की , मज़ा किसी को | बहुत कटु सच्चाई बयां करती लघुकथा , बधाई आदरणीय चंद्रेश जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई अमित जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
2 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय Richa Yadav जी, //जी क़ित'आ बंद कहने की कोशिश थी।//         जी यह…"
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

दोहा सप्तक

दोहा सप्तक----------------चिड़िया सोने से मढ़ी, कहता सकल जहान।होड़ मची थी लूट लो, फिर भी रहा…See More
5 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा दसक- गाँठ

ढीली मन की गाँठ को, कुछ तो रखना सीख।जब  चाहो  तब  प्यार से, खोल सके तारीख।१।*मन की गाँठे मत कसो,…See More
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभीवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ रिचा जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। भाई अमित जी के सुझाव से यह और निखर…"
12 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
20 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय जयनित कुमार मेहता जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
20 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की इस्लाह क़ाबिले गौर…"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service