For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वफ़ाओं का मेरी सिला दीजिये
हूँ बेहोश मुझको जिला दीजिये


हुआ हूँ मैं गुम इस ज़माने में लेकिन
मुझी को मुझी से मिला दीजिये


कुचलते रहे हैं सदा हर कली को
किसी फूल को अब खिला दीजिये


मिला इस ज़माने में हर कोई खारा
ज़रा अब अमिय भी पिला दीजिये


सज़ा तो बहुत मिल गयी है मुझे अब
वो ख़्वाबों की मंज़िल दिला दीजिये

वफ़ाओं का मेरी सिला दीजिये 
हूँ बेहोश मुझको जिला दीजिये !!

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 464

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on July 12, 2015 at 10:01pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री सुनील जी..

Comment by shree suneel on July 12, 2015 at 9:46pm
बढ़िया ग़ज़ल हुई आदरणीय. बधाई आपको इस प्रस्तुति पर. सादर.
Comment by विनय कुमार on July 9, 2015 at 7:45pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय परी श्लोक जी.

Comment by Pari M Shlok on July 9, 2015 at 3:11pm
बहुत खुबसूरत गजल

कुचलते रहे हैं सदा हर कली को
किसी फूल को अब खिला दीजिये (वाह )
Comment by विनय कुमार on July 9, 2015 at 12:10am

बहुत बहुत आभार आदरणीय राहुल डांगी जी ..

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 8, 2015 at 11:11pm
बहुत सुन्दर आदरणीय
Comment by विनय कुमार on July 8, 2015 at 10:35pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय सुनील प्रसाद जी , इस तरह भी सुन्दर है | सादर .

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on July 8, 2015 at 7:56pm
बहुत खुबसूरत गजल आदरणीय ज़रा इस तरह कहिये "वफाओं को मेरे सिला दीजिये
Comment by विनय कुमार on July 8, 2015 at 4:26pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , सादर धन्यवाद..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 8, 2015 at 3:49pm

बढ़िया प्रस्तुति आदरणीय विनय जी 

बधाई स्वीकार कीजिये 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service