अचानक उसकी नज़र सड़क पर धीमी बत्तियों में खड़ी एक लड़की पर पड़ी | हाड़ कंपा देने वाली ढंड में भी , जब वो सूट पहने अपने कार में ब्लोअर चला के बैठा था , लड़की अत्यंत अल्प वस्त्रों में खड़ी थी | फिर समझ में आ गया उसे , ये कॉलगर्ल होगी |
उसने कार उसके पास रोकी , लड़की की आँखों में चमक आ गयी | आगे का दरवाज़ा खोलकर उसने अंदर आने को बोला और उसके बैठते ही बोला " देखो , मैं तुम्हे पैसे दे दूंगा , मुझे अपना ग्राहक मत समझना | इस तरह खड़ी थी , क्या तुम्हें ठण्ड नहीं लगती "|
लड़की ने एक बार उसकी ओर देखा और पैसे लेकर पर्स में रखती हुई बोली " लगती तो है लेकिन जब घर में सो रहे बच्चे के बारे में सोचती हूँ तो बर्दास्त कर लेती हूँ | हाँ , अगर आप जैसे लोग हों दुनियाँ में तो हमें ऐसे खड़े होने की जरुरत नहीं पड़े "|
फिर गाड़ी रुकवाकर वो चली गयी , अब उसे भी लग रहा था कि ब्लोअर बंद कर देना चाहिए |
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , आप सदा हौसला बढ़ाते रहते हैं ।
आदरणीय प्रदीप जी , आभार आपका कि आपने टिप्पणी की । हम सब एक दूसरे से सीखते ही हैं और ये प्रक्रिया निरंतर जारी रहने चाहिए नहीं तो विकास अवरुद्ध हो जाता है । // लगती तो है लेकिन जब घर में सो रहे बच्चे के बारे में सोचती हूँ तो बर्दास्त कर लेती हूँ // का तात्पर्य उसके बच्चे से है जिसके भरण पोषण की जिम्मेदारी सिर्फ उसकी है । इसके अलावा भी कई वजहें हो सकती हैं जिसके चलते कोई भी नारी इस पेशे में उतरती है ।
// अब उसे भी लग रहा था कि ब्लोअर बंद कर देना चाहिए // पंक्तियाँ मैंने दो वज़ह से लिखी हैं , पहला , उस पात्र को एक नेक काम करने की जो सुखद अनुभूति हुई थी उसकी वज़ह से और दूसरा उस नारी के वाक्य को सुनकर । शायद अपनी बात पूरी तरह रखने में सफल नहीं हो पाया मैं । लेकिन इस तरह ही टिप्पणियों से ही हमें पता चलेगा कि हम सम्प्रेषण कर पा रहे हैं या नहीं , सादर..
अब उसे भी लग रहा था कि ब्लोअर बंद कर देना चाहिए | --बहुत बढ़िया
" लगती तो है लेकिन जब घर में सो रहे बच्चे के बारे में सोचती हूँ तो बर्दास्त कर लेती हूँ --क्या सो रहे बच्चे--ऐसे कार्य हेतु ..मजबूरी का पर्याप्त आधार . होगा , सादर
ये प्रश्न मैने सिखने के लिए किया है , समीक्षा के लिए नही , क्योंकि आप जानते हैं कि आप मेरा मार्ग प्रशश्त करते हैं . बधाई, सुगठित कथा हेतु.
आदरणीय विनय जी बढ़िया लघुकथा. प्रभावकारी अंत. बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर.
बहुत बहुत आभार आदरणीय मदनलाल श्रीमालीजी , सबका नजरिया अलग अलग होता है किसी भी चीज़ को देखने का | आपको लघुकथा पसंद आई , आभार..
बिलकुल सही कहा आपने आदरणीय तेज वीर जी , सभी जिम्मेदार हैं इन स्थितियों के लिए लेकिन शायद ये पुरुष समाज ज्यादा जिम्मेदार है | बहुत बहुत आभार आपके टिप्पणी का , सादर ..
आदरणीय विनय जी ,देह व्यापार जैसे बहुत ही गंभीर विषय पर सुंदर कथा लिखी है!समाज में यह एक व्यापक रूप से फ़ैली बीमारी है!कुछ पुरुष इसके लिये जिम्मेवार हैं वहीं दूसरी ओर कुछ औरतें भी इसका नायज़ाज़ लाभ उठाती हैं!अब उनके बताये कारणों की ज़ांच करना तो संभव नहीं होता!बहुत ही मार्मिक रचना !हार्दिक बधाई!
बहुत बहुत आभार आदरणीय पंकज जोशीजी , कथा पर आपके विचार रखने के लिए | पता नहीं कौन सी मज़बूरियाँ होती हैं जो ऐसे पेशे में उतार देती हैं स्त्रियों को , लेकिन आपका कहना भी दुरुस्त है | बहरहाल मैंने प्रेटी वुमन तो नहीं देखी लेकिन ये दृश्य मैं अक्सर यहाँ देखता हूँ जब ऑफिस से घर जाता हूँ और अपने मन में तर्क करता हूँ कि क्या वज़ह होगी जो ये लोग ऐसी कड़ाके की ठण्ड में भी ऐसे खड़ी रहती हैं | मुझे अपनी कल्पना से यही कारण प्रतीत हुआ इसके पीछे और मैंने उसे शब्द दे दिए | सादर..
इस मौका परस्त ज़िन्दगी में उसका लड़की को पैसे से मदद करना तो सराहनीय थ । पर वह लड़की अगर उसमे जरा सा भी जमीर होता तो वह इस पेशे को तिलांजलि देकर किसी होटल में वट्रेस का कार्य भी कर सकती थी । बच्चों का वास्ता देकर गलत पेशे में पड़ना और कमाना दोनों ही गलत हैं । pretty women पिक्चर की स्टोरी याद आ गई आदरणीय सर । सुंदर प्रस्तुति के लिये हार्दिक बधाई ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online