For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- ख़ुदा हो जा, अगर क़ुव्वत है तुझ में (गिरिराज भंडारी )

1222   1222    122

बहारों पर् चलो चरचा करेंगे

ख़िजाँ का ग़म ज़रा हलका करेंगे

 

कभी सोचा नहीं, हम क्या बतायें

न होंगे ख़्वाब तो हम क्या करेंगे

 

सजा दे , हक़ तेरा है हर खता की

उमीदें रख न हम तौबा करेंगे

 

अगर जुगनू सभी मिल जायें, इक दिन

यही सर चाँद का नीचा करेंगे

 

सँभल जा ! हम इरादों के हैं पक्के

कि, मर के भी तेरा पीछा करेंगे

 

जिया अन्दर का बाहर आ तो जाये

सर इब्ने सुब्ह को नीचा करेंगे    ...... इब्ने सुब्ह  = सूरज

 

सभी ख़ुद आश्ना रोते मिलें, कल  

अगर आईने काम अपना करेंगे

 

निहारे जा रहा हूँ आसमाँ को

करम फर्मा इशारा क्या करेंगे

 

हँसी ले जाओ सारी मुफ्त में तुम

हम अश्क़ों का न फिर सौदा करेंगे

 

सुखा तू , उस तरफ से जितना दम है

पसीना इस तरफ़ सींचा करेंगे

 

बहुत तारीकियाँ हैं , गर जलें हम

किसी आंगन को तो उजला करेंगे

 

ख़ुदा हो जा,  अगर क़ुव्वत है तुझ में

अगर तू हो गया , सज़दा करेंगे 

******************************

गिरिराज भंडारी

Views: 985

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 15, 2015 at 6:45am

आदरणीय राम अवध भाई , हौसला अफज़ाई का बहुत शुक्रिया ॥

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on July 14, 2015 at 6:04pm
बधाई सुन्दर सलीके केसाथ गजल कहने केलिये।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 14, 2015 at 3:31pm

आदरणीय कृष्णा भाई , आपकी स्नेहिल सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।

जिया अन्दर का बाहर आ तो जाये

सर इब्ने सुब्ह को नीचा करेंगे.... -----   अलिफ वस्ल  सर के  र और इ के बीच हुआ है , और इसके बाद  - सरिब्ने  हुआ है  इसमे आधा ब   का हुई रोल नही है । अतः ये सही है । वैसे भी आदरणी वीनस भाई जी की नज़र गज़ल पर पड़ ही चुकी है , अगर कोई गलती लगती तो वो लिख ही देते ।

मात्रा गिरा हो या अलिफ वस्ल हो मेरे ख्याल से अगर मात्रा गिर के कोई दूसरा शब्द बन रहा हो तो  नही गिर सकती या नही गिरानी चाहिये , वैसे ही अलिफ वस्ल का भी होना चाहिये , वैसे ये मेरी जानकारी मे नही है , फिर भ्भी यही होना चाहिये ऐसा लगता है ।

आदरणीय वीनस भाई की एक सीख है -- गज़ल कहने के लिये सीधे सादे साफ अलफाज़ मे कहे , और  शब्द विन्यास मे जादा उछ्ल कूद न हो , तो समझने मे आसानी होती है , शे र अच्छे लगते हैं । अगर सम्भव हो तो आप भी यही किया करें ।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 14, 2015 at 2:57pm

आ० गिरिराज सर बहुत ही लाजवाब गजल हुयी है ..मत्ले ने ही मुग्ध कर दिया! कितनी सरलता से  क्या खूब हुआ है लाजवाब!

कभी सोचा नहीं, हम क्या बतायें

न होंगे ख़्वाब तो हम क्या करेंगे...............यह शेर हासिले गजल लगा मुझे!! स्पष्ट दिखता है की बस हो गया कहा नही गया!नमन!

जिया अन्दर का बाहर आ तो जाये

सर इब्ने सुब्ह को नीचा करेंगे................लाजवाब! शेर हुआ है..पर इस शेर के माद्यम से अलिफ़ वस्ल के सम्बन्ध में मेरे कुछ  प्रश्न है! १) सर इब्ने = स+रिब्+ने १२२ में इ के साथ आधा ब् भी है क्या ऐसी स्थिति में भी अलिफ़ वस्ल किया जा सकता है??

          २) दूसरा प्रश्न पहले प्रश्न का ही विस्तार है अलिफ़ वस्ल में ऐसी स्थिति होने पर कुछ माननीय जनों का कहना है कि--- शब्दार्थ न बदले तो किया जा सकता है मतलब के //जाग+उट्ठे// में उट्ठे क्रिया है कोई विशेष शब्द नही है तो किया जा सकता है पर नाम+इश्क नही किया जाना चाहिए क्युकी इश्क एक शब्दविशेष है! सादर मार्गदर्शन निवेदित है!

आ० मत्ले से मकते तक सभी शेर बेहतरीन हुये  है...............//गजल कहना और गजल होना वाली बात आपकी और मिथिलेश सर की चर्चा में जो एक बारगी सुनी थी उसका अदा० आपकी गजल के रूप में देख रहा हूँ आदरणीय जिस तरह से आप गजल की साधना में लीन हो गये है ऐसा होना लाजिमी ही है! नमन है सर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 14, 2015 at 8:28am

आदरणीय भुवन भाई , आपको गज़ल पसंद आई  जान कर मन गदगद है , आपका हृदय से आभारी हूँ ।

Comment by भुवन निस्तेज on July 14, 2015 at 8:01am
बधाई हो आदरणीय .. हर शेर कई बार पढ्ने को मन कर रहा है...

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 14, 2015 at 7:49am

आदरणीय वीनस भाई , आपने तो मन प्रसन्न कर दिया ,  एक साथ छै शेर आपक को पसंद आये तो मेरा गज़ल कहना सार्थक हो गया । आपका हृदय से आभारी हूँ ।

Comment by वीनस केसरी on July 14, 2015 at 4:07am

वाह वा एक से बढ़ कर एक शेर ...
ये अशआर ख़ास पसंद आये .............

बहारों पर् चलो चरचा करेंगे

ख़िजाँ का ग़म ज़रा हलका करेंगे

 

कभी सोचा नहीं, हम क्या बतायें

न होंगे ख़्वाब तो हम क्या करेंगे

 

सजा दे , हक़ तेरा है हर खता की

उमीदें रख न हम तौबा करेंगे

 सभी ख़ुद आश्ना रोते मिलें, कल  

अगर आईने काम अपना करेंगे

 

निहारे जा रहा हूँ आसमाँ को

करम फर्मा इशारा क्या करेंगे

 

ख़ुदा हो जा,  अगर क़ुव्वत है तुझ में

अगर तू हो गया , सज़दा करेंगे


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 13, 2015 at 10:11pm

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , आपकी सराहना मेरा सम्बल है , उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 13, 2015 at 9:10pm

आदरणीया , राजेश जी , बात ऐसी नही है कि माफी तक जाये , मुझे आश्च्रर्य ये हुआ कि इसी गज़ल मे दो और शे र मे अलिफ वस्ल का उपयोग हुआ है जिसे आप और मिथिलेश भाई बखूबी समझ गये  , पर उसी के बाद के शे र मे नही समझ आया । अगर अलिफ वस्ल की याद ही न आये तो कोई बात नहीं , ये गलती तो सबसे होती है , अलिफ वस्ल का ध्यान ही नही आया , खुद मुझसे भी । अतः फिर से कहता हूँ ऐसी कोई गलती नही कि बात मुआफी तक पहुचें । सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service