ढलती शाम के वक्त खचाखच भरी बस में सेंट की खूशबू में लबालब जैसे ही वह दो लड़कियां चढ़ी तो सभी का ध्यान उनके जिस्म उघाड़ू तंग कपड़ों की ओर स्वत ही खिंचता चला गया । बस की धक्कमपेल का नाजायज़ फायदा उठाते हुए कुछ छिछोरे किस्म के लड़के रह रह कर उन्हे स्पर्श करते हुए बीच बीच में कुछ असभ्य कमेंट भी कर रहे थे परन्तु वो दोनों लड़कियां इन सबसे बेपरवाह आपस में हँस-हँस कर बातें करने में व्यस्त थीं।
‘इधर बैठ जाओ बेटी !’ सीट पर बैठा हुआ एक बुर्जुग बच्चे को सीट से अपनी गोद में बिठा कर थोड़ा एक तरफ सरकता हुआ लड़की से बोला
‘अरे बैठा रह ताऊ ! लगता है बासी कढ़ी में उबाल आ रहा है’ लड़की उपहास करते हुए थोड़ी तेजी से बोली तो बस में सवार सभी यात्री भी उस बुर्जुग पर हंसने लगे और वो बुर्जुग झेंपकर सिर झुकाकर बैठ गया।
अगले स्टाॅप पर दोनों लड़कियां उतर गईं।
‘तूने तो अंकल के साथ बहुत ‘रूड बिहेव’ किया, उसने तो बैठने को सीट ही आॅफर की थी और तुझे ‘बेटी’ भी तो कहा ।’
‘मुझे चिढ़ है ‘बेटी' शब्द से... जिसने मुझे इस धंधे में ढकेला वो भी मुझे ‘बेटी’ ही कहता था। आंखों से अंगारे बरसाती हुयी वो बोली
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
ओह! मर्मस्पर्शी कथानक
बहुत ही सधी हुई अभिव्यक्ति हुई है..वाह!
क्या झन्नाटे के साथ अंतिम पंक्ति लगती हैं सीधे कानों से ह्रदय पर...
शब्द चित्र तैरता गया और एकदम धारा बदल कर बहुत गहरा प्रभाव छोड़ गया.
हार्दिक बधाई इस सुगढ़ लघुकथा पर आदरणीय रवि प्रभाकर जी
सादर.
ग़जब की प्रस्तुति ...इस पुरुष प्रधान और उसकी घृणित सोच पर कड़ा प्रहार!
बस पढता गया और सहसा झटका लगा -
जिसने मुझे इस धंधे में ढकेला वो भी मुझे ‘बेटी’ ही कहता था।,,,,इसकी जितनी भी तारीफ की जाये कम है ,,हार्दिक बधाई आ. Ravi Prabhakar जी |
झन्नाटे दार पञ्च लाइन ..ये समाज ही एक स्त्री को देवी बनाता है यही उसे कुलटा बनाता है मोम का पत्थर बनते देखना भी समाज को नहीं पचता ..ऐसे में रिश्तों के संबोधनों से विश्वास ही उठ जाए तो आश्चर्य की बात नहीं ...बहुत ही सशक्त लघु कथा हुआ आ० रवि प्रभाकर जी , दिल से बधाई आपको
धन्य धन्य धन्य !
तो ये होती है लघुकथा !! .. ऐसे होती है लघुकथा . !!
पूरा माहौल और दशा-दुर्दशा यानी सारा कुछ चलचित्र की तरह घूम गया. हार्दिक बधाई, रवि भाई ..
आदरणीय रवि प्रभाकर जी, बेहद खूबसूरत लघुकथा लिखी है आपने!आधुनिक वातावरण का बडी कुशलता से चित्रण किया है!समाज में नैतिकता का लोप होता जारहा है !हार्दिक बधाई!
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