“आज फ्रेंडशिप डे है मगर ये डिसिप्लिन साला!....... सेलिब्रेट भी नहीं कर सकते.”
“आर्मी लाइफ है ब्रदर.”
“सुना, अमेरिका में ईराक पर हमले का अमेरिकी सैनिकों के साथ-साथ सिविलियन भी विरोध कर रहे है.”
“हाँ यार...... इतने पावरफुल देश की सेना में डिसिप्लिन ही नहीं है क्या?”
“अच्छा.... अगर इन्डियन आर्मी पाकिस्तान पर हमला करें तो क्या यहाँ भी विरोध होगा?”
“ अबे गद्दारों जैसी बात मत कर.......हमारा देश, राष्ट्रभक्तों का देश हैं. इसकी बुनियाद में ही......”
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
लीक से हटकर शिल्पगत लघु कथा लिखी है मिथिलेश भैया बहुत बढ़िया दिल से बधाई लीजिये सच कहा हमारे देश की तो बुनियाद ही देश भक्ति पर खड़ी हुई है |
आदरणीय मिथिलेश जी .बहुत दिनों से जिस तरह की लघु कथाएँ पढ़ रहा था उन सबसे जुदा अंदाज में एक शसक्त और इशारो में बोलती शानदार लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई सादर
वाह ! वाह रे व्यंग्य और व्यंग्य की धार !!
इस लघुकथा के माध्यम से आप बहुत ही ऊँची बात साझा कर गये हैं, आदरणीय मिथिलेश भाई. ऐसे ही इंगितों की साहित्यिक रचनाएँ अपेक्षा करती हैं.
संवेदनशील रचनाकर्म अभिधामूलक कम, व्यंजनामूलक अधिक हुआ करता है. वस्तुतः लघुकथा की विधा, जैसा कि अबतक के जुड़ाव में मैंने समझा है, --यदि गलत साबित हो जाऊँ या कर दिया जाऊँ, तो अपने कहे पर सादर क्षमा मांग लूँगा-- अपने विन्यास में अत्यंत संयत व्यंजनामूलक ’कविता’ की तरह सांकेतिक विन्यास चाहती है. अत्यंत आवश्यक शब्दों में इंगितों और बिम्बों का अनुशासित उपयोग करने का नाम यदि कविताकर्म है, तो यही गद्य क्षेत्र में लघुकथा के लिए भी सच है. सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आपने विषयवस्तु के विस्तार केलिए ’वही-वहीपन’ से नितांत अलग कथानक लिया है. यह अधिक आश्वस्तकारी है.
अपने मंच पर एक जुमला चलता है, ’कुछ रचनाएँ की नहीं जातीं, वो हो जाती हैं’. ऐसे जुमले का अर्थ मैं अब जा कर समझ पाया हूँ. लेकिन आपने इस रचना पर वस्तुतः काम किया है. आवश्यक मेहनत की है. अब दीर्घकालीन सतत प्रयास करते जाने की आवश्यकता है.
आपकी इस लघुकथा केलिए हृदय से बधाई, आदरणीय, हार्दिक शुभकामनाएँ
आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र जी, इस लघुकथा के मर्म पर आपका अनुमोदन बहुत मायने रखता है मेरे लिए. आपका अनुमोदन पाकर आश्वस्त हुआ हूँ. आपका हार्दिक आभार.
आदरणीय तेज बहादुर सिंह जी आपको लघुकथा रोचक लगी, लिखना सार्थक हुआ. हार्दिक आभार
आदरणीया Neelima Sharma Nivia जी, आपकी उपस्थिति हेतु आभार
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