For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रंगीन छाता (लघुकथा)

"बेटा आज  तेरा जन्म दिन है ..मंदिर में पूजा करनी है , बाहर बूंदाबांदी है ..गाड़ी में मंदिर ले चलेगा ?" उसने कमरे के बाहर  से ही पूछा

"माँ i  जनम दिन भागा नहीं जा रहा है कहीं .. सोने दो , आज सन्डे है ...और आप भी ये खाली पेट  पूजा का नाटक छोड़ दो "

पीछे से बहू के भुनभुनाने की आवाज़ भी उसने साफ़ सुन ली थी

वो चुपचाप बाहर आ गई ,गाल में ढुलक आये आंसूओं को  उसने जल्दी से पोंछा और छाता ढूँढने  लगी

"चलो दादी मै चलता हूँ ,छाता भी है मेरे पास " अपना रंग बिरंगा बच्चों वाला छाता  लिए सात साल का पोता पीछे खड़ा था

उस पुराने  रंगीन छाते का रंग निकल रहा था , जैसे ही उसने छाता खोलना चाहा ... उसके हाथों और चेहरे पर  रंग लग गया    

"दादी देखो आपके फेस पर कलर लग गया " उससे चिपक कर खड़ा   पोता हंस कर चिल्लाया

उसने देखा, अचानक पोते के चेहरे पर  उसके बेटे का बचपन का चेहरा उग आया है,  बेटा भी बारिश में उससे ऐसे ही चिपककर चलता था

"हाँ  आज तो रंग गई तेरी दादी "

पता नहीं थके शरीर में कहाँ से जान आ गई..  उसने पोते को गोदी में उठाकर चूम लिया , बारिश रुक गई थी और अब आसमान साफ़ था

 

मौलिक व अप्रकाशित    

 

 

     

Views: 942

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 13, 2015 at 3:28pm

भावनात्मक अभिव्यक्ति केलिए हार्दिक बधाई 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 9, 2015 at 11:45am

अचानक पोते के चेहरे पर  उसके बेटे का बचपन का चेहरा उग आया है,  बेटा भी बारिश में उससे ऐसे ही चिपककर चलता था

"हाँ  आज तो रंग गई तेरी दादी "   ... आँखों देखी घटना जैसी प्रस्तुति लगी आपकी ऐसा भी होता है....बधाई आदरणीया प्रतिमा जी!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 7, 2015 at 1:04pm

आदरणीय प्रतिभा जी ..इस मर्मस्पर्शी रचना के लिए ह्रदय से बधाई सादर 

Comment by विनय कुमार on August 6, 2015 at 3:00pm

वाह , बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण | बहुत बहुत बधाई इस शानदार लघुकथा के लिए आदरणीया प्रतिभा पांडे जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 6, 2015 at 1:28pm

भावुक कर देने वाली लघु कथा ....बेटी ,माँ ,दादी बस आशाओं को टूटते भी देखती हैं पुनह जीवित होते हुए भी देखती है ,फिर टूटते हुए देखती हैं बस इसी में जीवन पूर्ण हो जाता है .बहुत- बहुत बधाई प्रतिभा जी इस सुन्दर लघु कथा के लिए| 

Comment by Omprakash Kshatriya on August 6, 2015 at 7:18am
अपने स्वाभाविक प्रवाह के साथ सकारात्मक अंत लिए शानदार रचना आ प्रतिभा जी । बधाई ।
Comment by kanta roy on August 5, 2015 at 11:24pm
वाकई कथा लाजवाब बन पडी है । आशा और निराशा का बहुत ही सुंदर रंग भरी प्रस्तुति हुई है । बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 5, 2015 at 9:35pm

आदरणीया प्रतिभा जी, बहुत सुन्दर कथानक में सधे कथ्य को शाब्दिक करती शानदार लघुकथा हुई है. लघुकथा सीधे दिल को छू गई. निराशाजनक शुरुआत के साथ कथ्य का प्रवाह पाठक को जोड़ते जाता है और आशा की किरण जिस मर्म से अभिव्यक्त होती है वो मर्म दिल को गहराई तक छू लेता है. एक सकारात्मक और मार्मिक अंत कथा को विशिष्ट बनाता है. इस बेहतरीन और लाजवाब प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई निवेदित है. सादर 

Comment by TEJ VEER SINGH on August 5, 2015 at 8:37pm
आदरणीय प्रतिभा जी, बहुत मार्मिक लघुकथा,हार्दिक बधाई!
Comment by Sushil Sarna on August 5, 2015 at 7:39pm

सुंदर भावाभिव्यक्ति   … हार्दिक बधाई इस भावनामयी लघुकथा हेतु आदरणीया। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service