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ग़ज़ल :- मगर वो साज़िशें करता रहेगा

मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन फ़ऊलुन

नज़र पे जब तलक पर्दा रहेगा
तुम्हारा अक्स भी धुंदला रहेगा

मैं ज़ख़्मों की तिजारत कर रहा हूँ
बताओ फ़ायदा कितना रहेगा

वो सरगोशी में बातें कर रहा है
जो देखेगा उसे ख़दशा रहेगा

मिलेंगे हम मगर ये शर्त होगी
हमारे दरमियाँ पर्दा रहेगा

वहाँ मेरी ख़मोशी काम देगी
वो अपनी आग में जलता रहेगा

"समर" ,मालूम है अंजाम उसको
मगर वो साज़िशें करता रहेगा

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by Rahul Dangi Panchal on September 28, 2015 at 11:11pm
आदरणीय समर कबीर साहब जी क्या खूब गजल हुई है ।
और ये शे'र तो लाजवाब है।
"मिलेंगे हम मगर ये शर्त होगी
हमारे दरमियाँ पर्दा रहेगा। वाह वाह वाह
Comment by Samar kabeer on September 28, 2015 at 11:05pm
जनाब जयनीत कुमार वर्मा जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on September 28, 2015 at 11:04pm
जनाब अजय शर्मा जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on September 28, 2015 at 11:03pm
जनाब श्याम नारायण वर्मा जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on September 28, 2015 at 10:57pm
आली जनाब डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by जयनित कुमार मेहता on September 23, 2015 at 11:14pm

अति सुन्दर..बधाई!!

Comment by ajay sharma on September 23, 2015 at 10:34pm

wah wah wah

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 23, 2015 at 8:30pm

आ० सर कबीर साहेब -- जिंदाबाद  ! दिल लूट  लिया    =-मिलेंगे हम मगर ये शर्त होगी  हमारे दरमियाँ पर्दा रहेगा

Comment by Shyam Narain Verma on September 23, 2015 at 4:31pm

बहुत खूब ! इस सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें ।

सादर

Comment by Samar kabeer on September 22, 2015 at 11:31pm
जनाब "जान" गोरखपुरी जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।

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