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ग़ज़ल :- मगर वो साज़िशें करता रहेगा

मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन फ़ऊलुन

नज़र पे जब तलक पर्दा रहेगा
तुम्हारा अक्स भी धुंदला रहेगा

मैं ज़ख़्मों की तिजारत कर रहा हूँ
बताओ फ़ायदा कितना रहेगा

वो सरगोशी में बातें कर रहा है
जो देखेगा उसे ख़दशा रहेगा

मिलेंगे हम मगर ये शर्त होगी
हमारे दरमियाँ पर्दा रहेगा

वहाँ मेरी ख़मोशी काम देगी
वो अपनी आग में जलता रहेगा

"समर" ,मालूम है अंजाम उसको
मगर वो साज़िशें करता रहेगा

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Samar kabeer on September 22, 2015 at 11:29pm
जनाब पंकज कुमार जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on September 22, 2015 at 11:27pm
जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on September 22, 2015 at 11:25pm
जनाब गुमनाम जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on September 22, 2015 at 11:23pm
जनाब रवि शुक्ल जी,आदाब,क्षमा शब्द का प्रयोग करके आप मुझे शर्मिंदा न करें ,इस मंच पर हम भी साझा करने के लिये ही आते हैं,हम जब भी मिलेंगे ,हमारे बीच कोई पर्दा नहीं होगा,इस शैर में छुपे हुए भाव को देखिये,हम भी आप ही की तरह ये ख़्वाहिश रखते हैं कि उनसे मिलें और उनके जलवों से ख़ाक हो जाऐं,मगर क्या करें महबूब ने ये कह दिया :-

"मिलेंगे हम मगर ये शर्त होगी
हमारे दरमियाँ पर्दा रहेगा"
Comment by Samar kabeer on September 22, 2015 at 11:14pm
आली जनाब डॉ विजय शंकर जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 22, 2015 at 9:45pm

बेहतरीन समर सर!शेर दर शेर दाद प्रेषित है!
सादर.

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 22, 2015 at 4:28pm
वहां मेंरी ख़मोशी काम देगी
वो अपनी आग में जलता रहेगा ।।


उम्दा शेर और खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाईयाँ आदरणीय समर कबीर साब।।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 22, 2015 at 3:47pm

अादरणीय समर कबीर जी  हमेशा की तरह शानदार ग़जल हुई है शेर दर शेर दाद हाज़िर है. सादर 

Comment by gumnaam pithoragarhi on September 22, 2015 at 2:43pm

अादरणीय समर कबीर साहब हमेशा की तरह खूबसूरत ग़जल हुई है;;;;;;;;;;;;;;;;

 बेहतरीन ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by Ravi Shukla on September 22, 2015 at 2:22pm

अादरणीय समर कबीर साहब हमेशा की तरह खूबसूरत ग़जल हुई है

मिलेंगे हम मगर ये शर्त होगी
हमारे दरमियाँ पर्दा रहेगा    हमें इसमें जो नजाकत दिखाई दी है उसे सलाम ।

वैसे गजल के अलावा बात करें तो हम तो यही चाहेगे कि जब कभी मिलना हो कोई पर्दा न हो फिर चाहे उसके जलवो में हम खाक ही क्‍यो न हो जाए कम से कम हसरत तो न रहेगी । जब खाक हो के उसी में मिलना है तो मुक्‍त भी हो जाएं । आपसे बात करके हमेशा अच्‍छा लगता है इसलिये अपने विचार साझा कर लिये यदि धृष्‍टता हुई हो तो क्षमा कर करें ।

गज़ल पर शेर दर शेर दाद कुबूल करें।सादर।

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