For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"तीन प्रत्युत्तर"-- [प्रत्युत्तर संदर्भित लघु कथा]

"तीन प्रत्युत्तर" [ प्रत्युत्तर संदर्भित लघु कथा]

पति देव जी की ज़िद पर आज पैदल ही दोनों एक समारोह में शामिल होने घर से निकले थे।
बाज़ार में एक सड़क पर एक सात-आठ साल का बच्चा स्कूल बैग लिए बुरी तरह रो रहा था। ट्यूशन से लौटते समय शौच पर नियंत्रण न कर पाने से उसका पैन्ट और पैर पतले 'मल' से सने हुये थे।

पत्नी के विरोध के बावजूद सक्सेना जी ने उस अनजान बच्चे को पास की ही एक प्याऊ तक ले जाकर उसकी सफाई करने में सहायता की। बच्चे का चेहरा खिल उठा। वह सामान्य हो कर घर की ओर चल पड़ा।

कुछ अपमानित सा महसूस कर रही पत्नी नाराज़ होकर बोल पड़ी-" अगर यही सब करना है तो मुझे साथ में कभी मत लाया करो। किसी खुशी के समारोह में शामिल होना तुम्हें आता ही नहीं है। पता नहीं ज़िन्दगी जीना कब सीखोगे !"

-"स्त्री होते हुए तुमने खुशी के एक अनमोल पल को खो दिया और मैंने........मैंने उस पल को जी लिया।"- राहत की एक लम्बी साँस लेकर सक्सेना जी ने उत्तर दिया ।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 761

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 7, 2017 at 10:15pm
मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय राजेश कुमारी जी व आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 3, 2015 at 1:05pm

बहुत खूब , आदरणीय , सच है महिला इतही असंवेदन शील कैसे ? बधाई आपको ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 3, 2015 at 10:14am

एक स्त्री होकर भी बच्चे की परेशानी नहीं समझ सकी हैरत होती है जब कि घर में अपने बच्चे का वो सब करती है ...किन्तु परिस्थितियां कैसे बदल रही हैं  ...आजकल तो घर में भी पतियों को बच्चों के सब काम करते देखते हैं ....अपने बच्चे का सब कर लेते हैं किन्तु बाहर दूसरे के बच्चे की इसमें मदद करना इंसान के चरित्र को बहुत ऊँचाई पर ले जाता है आपकी लघु कथा प्रेरणास्पद है जिसके लिए आप बधाई के पात्र हैं |

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 1, 2015 at 6:00pm
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय Sushil Sarna जी रचना के अवलोकन व सराहना के लिए।
Comment by Sushil Sarna on October 1, 2015 at 4:50pm

आत्मिक भावों का सजीव चित्रण करती इस लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 1, 2015 at 12:46pm
तहे दिल बहुत बहुत धन्यवाद मेरी कथा का अवलोकन करने व प्रोत्साहन देने के लिए आदरणीय Tej Veer Singh जी, आदरणीया Neeta Saini जी, आदरणीया Savitamishra जी , आदरणीयShiv Narain Verma जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on October 1, 2015 at 11:44am

हार्दिक बधाई अदरणीय शेख उस्मानी जी!बहुत मार्मिक और दिल को छूने वाली लघुकथा!अकसर परिवारों में पति पत्नी के बीच इस तरह की जुमले बाज़ी होती रहती  है उसकी मुख्य वज़ह शायद उनकी पारवारिक पृष्ठ भूमि होती होगी!यह मेरी अपनी सोच है!

Comment by Neeta Saini on September 30, 2015 at 8:06pm
सुन्दर लघुकथा के लिए आपको बधाई आदरणीय
Comment by savitamishra on September 30, 2015 at 6:32pm

बढ़िया बन पड़ी हैं कथा | मदद से जो सुकून मिलता हैं वह सच में खो दिया पत्नी ने | जिन्दगी तो सक्सेना साहब ही जिए |

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 30, 2015 at 6:15pm
तहे दिल बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय Shyam Narain Verma जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service