For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :- अब तो माँ भी नहीं दुआ के लिये

फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन/फ़ेलान

तोड़ क्या लाऊँ इस बला के लिये
अब तो माँ भी नहीं दुआ के लिये

रह्म शैताँ के पास मिलता नहीं
ये सिफ़त है फ़क़त ख़ुदा के लिये

जान से हाथ धोना पड़ते हैं
बस ये इनआम है वफ़ा के लिये

हक़ अदा कर दिया मुहब्बत का
क्या सज़ा देंगे इस ख़ता के लिये

सब उसे तोता चश्म कहते हैं
है वो मशहूर इस अदा के लिये

मुश्किलें मेरी दूर कर देना
कोई मुश्किल नहीं ख़ुदा के लिये

क़त्ल का मेरे फ़ैसला ये हुवा
सब थे तैयार खूँ बहा के लिये

धमकियाँ देके वो डराते हैं
छोड़ देंगे "समर" सदा के लिये

-----------


तोता चश्म :- तोते की तरह आँखे बदलने वाला

खूँ बहा :- एक रिवाज के मुताबिक़ क़ातिल तय शुदा रक़म क़त्ल होने वाले के घर वालों को दे दे,और वो रक़म लेने को तैयार हो,उस रक़म (दौलत) को खूँ बहा कहते हैं ,और इसे अदा करके क़ातिल मौत की सज़ा से बच जाता है ।

समर कबीर
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 804

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on October 5, 2015 at 11:05pm
जनाब "जान" गोरखपुरी जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on October 5, 2015 at 11:01pm
आली जनाब डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी ,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on October 5, 2015 at 10:59pm
जनाब सुशील सरना जी, आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on October 5, 2015 at 10:58pm
आली जनाब डॉ विजय शंकर जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on October 5, 2015 at 10:56pm
जनाब रवि शुक्ल जी,आदाब,'जान से हाथ धोना'
मुहावरा है,हाथ चूँकि बहुवचन है,इस लिहाज़ से 'पड़ते हैं' लिया है ,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on October 5, 2015 at 10:51pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 5, 2015 at 10:13pm

क़त्ल का मेरे फ़ैसला ये हुवा
सब थे तैयार खूँ बहा के लिये

गज़ब सर....आपने जो अर्थ बताया है वहाँ तो बिना संकेत कोई विरला ही पहुच सकता है! गज़ल में ऐसे तजुर्बे हम जैसे कहाँ से लायेंगे???? हा हा हा!!...सादर अभिनन्दन !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 5, 2015 at 8:49pm

आ० समर कबीर जी ,आपकी गजल छुट जाये तो कोफ़्त होती है , मिलती है तो पढ़ना लाजिम है मेरे लिए - बहुत सीखने को मिलता है . सादर ,. 

Comment by Sushil Sarna on October 5, 2015 at 6:40pm

वाह बहुत ही मार्मिक और दिलकश अशआर कहे हैं आपने इस ग़ज़ल में हार्दिक बधाई।
तोड़ क्या लाऊँ इस बला के लिये
अब तो माँ भी नहीं दुआ के लिये
_/\_

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 5, 2015 at 8:46am
मुश्किलें मेरी दूर कर देना
कोई मुश्किल नहीं ख़ुदा के लिये।
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , बहुत उम्दा ग़ज़ल बनी है ,बधाई , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"देखकर ज़ुल्म कुछ हुआ तो नहीं हूँ मैं ज़िंदा भी मर गया तो नहीं ढूंढ लेता है रंज ओ ग़म के सबब दिल मेरा…"
23 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"सादर अभिवादन"
36 minutes ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"स्वागतम"
39 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
41 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service