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आ0 भाई शिज्जू जी , बहुत ही बेहतरीन गजल हुई है हार्दिक बधाईl
khoobsoorat gazal - badhaee
बहुत खूब ग़ज़ल हुई शिज्जू भैया शेर दर शेर दाद कुबूलें ,
ओस की बूंद सा चाँद ढलता हुआ
खूब है सुब्ह के सुर्ख़ रुखसार पर---बहुत प्यारा शेर इसके लिए विशेष दाद
आदरणीय शिज्जु भाई , क्या बात है , बढ़िया गज़ल कही है , दिली मुबारकबाद कुबूल करें ।
ढूँढ ही लेते हैं राह अहले जिगर
खत्म मौके नहीं होते इक हार पर -- इस शे र के लिये ख़ास बधाई ॥
आदरणीय शिज्जु भाई जी बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है. शेर दर शेर दाद और मुबारकबाद कुबूल फरमाएं.
इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए कोटि कोटि बधाई , सादर |
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