For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सर झुकाये हयात आई इसरार पर- शिज्जु शकूर

212 212 212 212
आये उश्शाक़ खुद को लिये दार पर
सर झुकाये हयात आई इसरार पर

ओस की बूंद सा चाँद ढलता हुआ
खूब है सुब्ह के सुर्ख़ रुखसार पर

माह अफ़्लाक़ पर जल उठे हैं कई
नूर उछला है उनका शबे तार पर

मारने हक़ हज़ारों खड़े हैं यहाँ
और मक़्तूल तलवार की धार पर

अपनी नाकामियों का ख़मोशी के साथ
रख दिया उसने इल्ज़ाम अगयार पर

कौन अपना नुमाइंदा है मुल्क में
फूल है तो कहीं हाथ दस्तार पर

ढूँढ ही लेते हैं राह अहले जिगर
खत्म मौके नहीं होते इक हार पर

(उश्शाक़- आशिक़ का बहुवचन; इसरार- आग्रह, हठ; रुखसार- गाल;
अफ़्लाक़- फ़लक़ का बहुवचन; मह- चाँद; शबे तार- अँधेरी रात;
मक़्तूल- मरनेवाला; अगयार- दुश्मन; दस्तार- पगड़ी)

-मौलिक,अप्रकाशित

Views: 945

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 4, 2015 at 6:06pm
आदरणीय मिथिलेश जी रचना की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 4, 2015 at 6:05pm
आदरणीय श्याम नारायण शर्मा जी आपका हार्दिक आभार
Comment by kanta roy on November 4, 2015 at 12:11pm

ढूँढ ही लेते हैं राह अहले जिगर
खत्म मौके नहीं होते इक हार पर----वाह !!! बहुत खूब जिगरवाली ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय  शिज्जु शकूर जी । बधाई कबूल फरमाइए

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 4, 2015 at 11:22am

आ0 भाई शिज्जू  जी , बहुत ही बेहतरीन गजल हुई है हार्दिक बधाईl

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on November 4, 2015 at 9:49am

khoobsoorat gazal  - badhaee


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 3, 2015 at 8:55pm

बहुत खूब ग़ज़ल हुई शिज्जू भैया शेर दर शेर दाद कुबूलें ,

ओस की बूंद सा चाँद ढलता हुआ
खूब है सुब्ह के सुर्ख़ रुखसार पर---बहुत  प्यारा शेर इसके लिए विशेष दाद 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on November 3, 2015 at 7:27pm
बहुत खूब आदरणीय शिज़्ज़ु सर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 3, 2015 at 6:46pm

आदरणीय शिज्जु भाई , क्या बात है , बढ़िया गज़ल कही है , दिली मुबारकबाद कुबूल करें ।

ढूँढ ही लेते हैं राह अहले जिगर
खत्म मौके नहीं होते इक हार पर    -- इस शे र के लिये ख़ास बधाई ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 3, 2015 at 5:09pm

आदरणीय शिज्जु भाई जी बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है. शेर दर शेर दाद और मुबारकबाद कुबूल फरमाएं.

Comment by Shyam Narain Verma on November 3, 2015 at 10:59am

इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए कोटि कोटि बधाई ,

 सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
6 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service