221 2122 221 2122
रौशन हो दिल हमारा, इक बार मुस्कुरा दो
खिल जाय बेतहाशा, इक बार मुस्कुरा दो
पलकों की कोर पर जो बादल बसे हुए हैं
घुल जाएँ फाहा-फाहा, इक बार मुस्कुरा दो
आपत्तियों के रुत की कुछ है अजीब फितरत
समझो अगर इशारा, इक बार मुस्कुरा दो
मालूम है तुम्हें भी कितना कठिन समय है
फिर भी तुम्हारा कहना, ’इक बार मुस्कुरा दो’ !
पत्थर के इस शहर में जो धुंध इस कदर है
मिट जायेगा अँधेरा, इक बार मुस्कुरा दो
निर्द्वंद्व सो रहा है आगोश में समन्दर
बहका रहा किनारा, इक बार मुस्कुरा दो
अभिव्यक्ति ज़िन्दग़ी की - दीपक तथा अँधेरा !
अब जी उठे उजाला, इक बार मुस्कुरा दो
स्वीकार हो निवेदन, अनुरोध कर रहा है
ये रोम-रोम सारा.. इक बार मुस्कुरा दो
********************
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय गिरिराजभाईजी, आपकी प्रतिक्रिया और टिप्पणी से कोई रचना सम्मानित होती है. मैं आपसे मिली प्रशंसा को अपने सिर-माथे स्वीकार करता हूँ.
सादर
आदरणीय सुशील सरनाजी, आपसे मिला अनुमोदन आश्वस्त करता करता है कि हमारा प्रयास सदिश है. सहयोग बना रहे. हार्दिक धन्यवाद
भाई मनोज कुमर अहसास जी, प्रस्तुति पर पसंदग़ी ज़ाहिर करने के लिए हार्दिक धन्यवाद
आ० सौरभ जी गजल में शब्दों के सुन्दर फाहे सचमुच यही कहते है इक बार मुस्करा दो बाकी मिथिलेश जी ने कुछ कहने के लिए छोड़ा ही नहीं सादर .
क़माल के अशार हुए हैं आदरणीय सौरभ जी हार्दिक बधाई !
शानदार मनुहार पढने को मिला |
सादर नमन!
पत्थर के इस शहर में जो धुंध इस क़दर है
मिट जायेगा अँधेरा जो इसबार मुस्करा दो
बेहद उम्दा भाव
बधाई पूज्य सौरभ पाण्डेय जी
पलकों की कोर पर जो बादल बसे हुए हैं
घुल जाएँ फाहा-फाहा, इक बार मुस्कुरा दो
पत्थर के इस शहर में जो धुंध इस कदर है
मिट जायेगा अँधेरा, इक बार मुस्कुरा दो
वाह क्या बात है आदरणीय सौरभ जी, हार्दिक वधाई आपको!
अभिव्यक्ति ज़िन्दग़ी की - दीपक तथा अँधेरा !
अब जी उठे उजाला, इक बार मुस्कुरा दो|
अच्छी ग़ज़ल ................. बधाई!!!!!
".वाह क्या बात है ,,,,,,,,,,,,,खूबसूरत गजल के लिए आपको हार्दिक बधाई, सादर " |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online