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दोष उनको दे रहे क्यूँ आप कुछ तो बोलिये
मौन यह कबतक चलेगाआज मुँह तो खोलिये।1
सिर रहे धुन क्या मिला आगे मिलेगा और क्या
याद करनाआप क्यूँ ऐसे किसीके हो लिये।2
पर्व था जनतंत्र का चलते जरा आगे कहीं
मिल गये नाले समझ नद आपने मुँह धो लिये।3
हाथ में डोरी पड़ी थी हाँकते रथ और भी
घिर गयी क्षणभर घटा ढीले पड़े फिर सो लिये।4
आपके वरदान से राजा बने कितने सभी
मिल गया थोड़ा कहीं फिर तो बहुत कुछ खो लिये।5
रंक-राजा में किया कब आपने अंतर कभी
गा गया वह निज कथा फिर आप थोड़ा रो लिये।6
खेत सूखे रह गये अपने कभी सोचा नहीं
थी जमीं उसकी वहीं सब बीज अपने बो लिये।7
बार कितनी ही तुलेंगे वाकये सुन लें अभी
बैठिये चुपकर कभी अपने वजन को तोलिये।8
नींद की भी कुछ हदें हैं सो रहे कितना यहाँ
जग रहा जग जागिये भी आँख अपनी खोलिये।9
मौलिक व अप्रकाशित@मनन
Comment
आदरणीय मनन जी बहुत शानदार ग़ज़ल कही है आपने .... हार्दिक बधाई
दोष उनको दे रहे क्यूँ आप कुछ तो बोलिये
मौन यह कब तक चलेगा, आज तो मुँह खोलिये।1
धुन रहे सिर, क्या मिला, आगे मिलेगा और क्या
याद करना आप क्यूँ, ऐसे किसी के हो लिये।
सभी शेर बेहद उम्दा हुए हैं आ० मनन जी
शानदार ग़ज़ल लिए लिए हार्दिक बधाई
सभी शेर बेहद उम्दा हुए हैं आ० मनन जी
शानदार ग़ज़ल लिए लिए हार्दिक बधाई
पर्व था जनतंत्र का चलते जरा आगे कहीं
मिल गये नाले समझ नद आपने मुँह धो लिये।3
आ० भाई मनन जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई l
sundar rachnaa - badhaee
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