For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यशोधरा.......अतुकांत // डॉ० प्राची

सुधि-बुधि बिसराई

व्याकुल पनीली आँखें,

अधखुले केश, बेसुध आँचल
अस्त-व्यस्त आभूषण...
कराहती सिसकती चीत्कारती

पल-पल जमती जाती करुण वाणी से
कहाँ-कहाँ नहीं पुकारा-

पर,

लौट-लौट आती थी

हर पुकार की कर्णपटों को बेधती

हृदय विदारक प्रतिध्वनि...

लिख चुकी थी नियति
यशोधरा के भाग्य में
अंतहीन  निष्ठुर विरह...

कितनी प्रबल रही होगी

सत्यान्वेषण को आतुर

अंतरात्मा की वो पुकार,

कि नहीं थम सके-

राजपाट त्याग,

धर्म मार्ग पर बढ़ते

मुमुक्षु कदम...

अतुल्य सुंदरी का निर्बाध प्रेम भी

लेष मात्र विचलित न कर सका
राजकुमार को उनके संकल्प से...

न ही हिम सम जड़ हुए पितृत्व को द्रवित कर

अपने सम्मोहन में आबद्ध कर सका
नवजन्मे पुत्र का कोमल संस्पर्श...


क्या ऐसे क़दमों की गति को 
आत्मा की आवाज़ के विरुद्ध चलने को विवश कर देना 
पाप नहीं होता???

 

आज फिर,
निर्बाध प्रेम का अथाह सागर 
कण मात्र भी विचलित नहीं कर सकेगा

कर्तव्य मार्ग पर बढ़ते एकाग्रचित्त संकल्पित हृदय को...
जीवन की ओर पग-पग बढ़ते

संघर्षरत शिशु की श्वासों का स्पंदन लिये

कोमल स्वप्नों की डोर भी
नहीं बाँध सकेगी

लक्ष्य की ओर उड़ान भरने को आतुर

खुले पंखों की प्रखर रवानी को...
कोई वैचारिक सम्मोहन अपनी माया में उलझा

क्षण भर को भी पथच्युत नहीं कर सकेगा  

कर्तव्य मार्ग पर बढ़ते अन्तःसंकल्पित क़दमों को...

जो चले हैं

आज फिर

एक नया इतिहास रचने,
देश काल निमित्त सब आतुर हैं

जिसके स्वागत को...

जाओ!

समयशिला पर गढ़ दो

आज फिर एक नया अध्याय 
कि नहीं रोकेगा आज यशोधरा का प्रेम-

सिद्धार्थ को बोधिसत्व पाने से...

 

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 736

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 4, 2016 at 6:22pm
बहुत सुंदर।वर्तमान को इतिहास से जोड़ एक तपस्विनी को योग्य सम्मान नज़र करती सुंदर रचना।आपकी यह रचना इस आधुनिक यशोधरा को सच्ची शब्दांजलि है।बधाई आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 4, 2016 at 12:35am

आदरणीया डॉ प्राची जी, यशोधरा की वेदना और संवेदना को बहुत सधे शब्द मिले है. इस शानदार प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 3, 2016 at 11:40pm
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। इतिहास , त्याग , करुणा , वेदना , विछोह , और अंत में आशाएं ( छिपा हुआ व्यंग ) भी , कुल मिला कर एक अद्वितीय प्रस्तुति।
बहुत बहुत बधाई आदरणीय डॉo सुश्री प्राची सिंह जी , सादर।
Comment by TEJ VEER SINGH on February 3, 2016 at 12:31pm

हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ प्राची सिंह जी!बेहतरीन प्रस्तुति!यशोधरा की विरह को एक नये रूप में दर्शाती सुंदर रचना!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
29 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
3 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service