For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लेन-देन की परम्परा [ अतुकांत कविता] /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

लेन-देन की परम्परा
नीचे से ऊपर तक
छोटों से बड़ों तक

ऊपरवाला भी अब करता
व्यवसाय सी प्रक्रिया
कभी देता, कभी लेता
हिसाब बराबर सब करता
संकेतों को कौन समझता?

इन्सान ही तो कर्ता-धर्ता
दूर-तंत्र से नचता
विकास संग विनाश का मेला
रंगीन, संगीन, ग़मगीन
कोई बदनाम, कोई नामचीन

गति, प्रगति, मति या अति में
यति करती स्वत: प्रकृति
सृष्टि की अजब नियति
अवसरवादिता की प्रखर
मानव जैसी चतुर
लेन-देन की परम्परा।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 524

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 6, 2016 at 7:56pm
रचना पर उपस्थित हो कर प्रोत्साहित करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, आदरणीय समर कबीर साहब, मोहतरमा प्रतिभा पाण्डेय जी व मोहतरमा राहिला साहिबा।
Comment by pratibha pande on February 9, 2016 at 10:53pm
सुन्दर भाव व्यक्त किये हैं आपने इस अतुकांत में आदरणीय उस्मानी जी ,हार्दिक बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 9, 2016 at 8:18pm
आदरणीय उस्मानी जी बहुत बढ़िया भावाभिव्यक्ति। विषय प्रभावित करता है। हार्दिक बधार। सादर
Comment by Samar kabeer on February 9, 2016 at 2:32pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,इस शानदार प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें !
Comment by Rahila on February 9, 2016 at 2:09pm
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति आदरणीय उस्मानी जी!बहुत बधाई आपको । सादर
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 9, 2016 at 1:22pm
मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर सम्मान्य उपस्थिति व सराहना करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी व आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी।
Comment by Shyam Narain Verma on February 9, 2016 at 12:57pm
बहुत ही सुंदर , हार्दिक बधाई । सादर
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 9, 2016 at 10:57am
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी , इस नवीन प्रस्तुति के लिये बधाई , सुन्दर है,सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service