For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज शर्मा जी के घर में बहुत हलचल थी, कई रिश्तेदार भी मिलने आये हुए थे| शर्मा जी रिटायर होने के बाद, अपनी पत्नी के साथ छह महीने की तीर्थयात्रा पर जा रहे थे| उनके दोनों बेटे और बहुएँ भी बहुत खुश थे| बेटे इसलिए कि अपनी कमाई से अपने माता-पिता को तीर्थ करवा रहे हैं और बहुएँ इसलिए कि अगले छह महीने वो घर की रानियाँ बन कर रहेंगी|

 

पूजा-पाठ कर प्रसाद हाथ में लिए दोनों पति-पत्नी ने जैसे ही घर के बाहर कदम रखा, बाहर खड़ी एक बिल्ली उनका रास्ता काट गयी| एक बेटे ने उस बिल्ली को हाथ से भगाते हुए पिता की तरफ देख कर कहा, "पापा, आप थोड़ी देर रुके ही रहिये, अपशकुन हुआ है|"

 

वो रुक गये और मन ही मन कुछ जाप करने लगे|

 

जाप खत्म होने के बाद फिर बढ़ने लगे कि बिल्ली फिर से रास्ता काट गयी| अब दूसरे बेटे से रहा नहीं गया, मेहनत की गाढ़ी कमाई और पूरे मन से माता-पिता के लिये तीर्थयात्रा की व्यवस्था की थी, उसमें विघ्न उसके बर्दाश्त के बाहर था| वो एक डंडा लेकर बिल्ली को मारने आगे बढ़ा, लेकिन उसके पिता ने तुरंत उससे आगे निकल कर बिल्ली को गोद में ले लिया|

 

और उस बिल्ली को पुचकारते हुए कहा, "चल तू भी चल हमारे साथ, पोते-पोती छोटे हैं, अब तेरा यहाँ ध्यान कौन रखेगा?" कहते हुए अपने हाथ का प्रसाद बिल्ली के मुंह की तरफ बढ़ा दिया|

(मौलिक और अप्रकाशित)

 

Views: 476

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on March 5, 2016 at 10:29am

अच्छा सन्देश देती हुई सुन्दर लघु कथा..

भ्रमर ५ 

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on March 3, 2016 at 8:08pm

रचना को पसंद कर मेरी हौसला अफज़ाई करने के लिये सादर आभार आदरणीया Rahila जी, आदरणीय TEJ VEER SINGH जी  सर, आदरणीया rajesh kumari जी, आदरणीया pratibha pande जी| 

Comment by pratibha pande on March 3, 2016 at 7:37pm

  खुद को आधुनिक   कहने वाले लोग भी अक्सर अंधविश्वासों में जकड़े दिखते है ,सुन्दर रचना है ,हार्दिक  बधाई स्वीकार करें आदरणीय चंद्रेश जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 3, 2016 at 6:39pm

अंधविश्वास पर करारा व्यंग करते हुए अच्छा सन्देश देती हुई लघु कथा बहुत खूब आ० चंद्रेश कुमार जी बधाई स्वीकारें 

Comment by TEJ VEER SINGH on March 3, 2016 at 11:49am

हार्दिक बधाई आदरणीय चंद्रेश  जी!बेहतरीन प्रस्तुति!अंध विश्वास और पशु प्रेम!एक तीर से दो शिकार!

Comment by Rahila on March 2, 2016 at 1:06pm
बहुत खूब, बहुत बढ़िया तमाचा अंधविश्वास पर, यहाँ एक बात और खास लगी कि घर के बुजुर्गों ने ये कदम उठाया जो सराहनीय है । वरना बेचारी बिल्ली की तो शामत आ गई थी ।बहुत बधाई आदरणीय सर जी!रचना शानदार लगी । सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service