For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अतुकांत कविता : खेती (गणेश जी बागी)

ऊँची, नीची, मैदानी, पठारी, 

उथली, गहरी...

दूर तक विस्तृत

उपजाऊ जमीन.

 

यहाँ नहीं उपजते

गेहूँ, धान

फल, फूल,

न उगायी जाती हैं साग, सब्जियाँ

किन्तु,

जो उपजता हैं

उससे....

करोड़ों कमाती हैं

बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ

 

तय होतें हैं

सियासी समीकरण

 

बनती बिगड़ती हैं

सरकारें

 

पैदा होता है

विकास

आते हैं

अच्छे दिन.

 

हम जैसे तो बस

डालते रहते हैं उसमें

खाद और पानी

परिणाम स्वरूप  

लह-लहाती रहती है 

झूठ की खेती.

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट =>लघुकथा : आस्तीन का साँप

Views: 1060

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 20, 2016 at 4:28pm
स्पष्ट शाब्दिक हुआ है कटु-अनुभवपूर्ण परिदृश्य। कम शब्दों में बढ़िया सम्प्रेषण। सादर बहुत बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय गणेश जी बागी जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on March 20, 2016 at 2:37pm

हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी बागी  जी!बहुत सार्थक,सामयिक और वर्तमान परिदृश्य से रूबरू कराती कटाक्ष मिश्रित बेहतरीन प्रस्तुति!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 20, 2016 at 12:53pm

प्रखर सोच की एक अत्यंत मुखर रचना ! बहुत-बहुत शुभकामनाएँ भाई गणेश जी. 

हार्दिक शुभेच्छाएँ 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on March 20, 2016 at 12:35pm
वाह । आज के कडवे सच को उजागर करती है यह आपकी रचना । बधाई आदरणीय ।
Comment by Ram Ashery on March 20, 2016 at 11:41am

हमें तो सच का पता नहीं 

उनके झूठ पर इतरा रहे 

मानते गलत को ही सही

सियार की तरह आवाज मिला रहे 

सच बोलने की हममें ताकत नहीं 

बहुत ही सही आपने लिखा है आपको सहृदय बधाई स्वीकार हो.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 20, 2016 at 9:51am

हम जैसे तो बस

डालते रहते हैं उसमें

खाद और पानी

परिणाम स्वरूप  

लह-लहाती रहती है 

झूठ की खेती.---वाह वाह आज के सियासी खुदगर्जी माहौल पर कितना सुंदर सटीक कटाक्ष किया है आ० गणेश जी इस अतुकांत कविता के माध्यम से दिल खुश हो गया बहुत- बहुत हार्दिक बधाई .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service