अतुकांत कविता : व्यवस्था
गर्मी से तपती धरती
चहुँ ओर मचा हाहाकार
बादल को दया आयी
चारो तरफ नज़र दौड़ाई
जाति देखी, धर्म देखा
सगे-सम्बन्धी, पैरवीकार देखा
खुद को सिमित करके
खूब बरसा, जमकर बरसा
कही बाढ़ तो कही सूखा
पुनः मचा हाहाकार
बनाई गयी एक नई व्यवस्था
निर्धारित हुआ सबका कोटा
धर्म का कोटा, जाति का कोटा
नई व्यवस्था से
बरसा बादल
धरती हुई हरी भरी
लहलहा उठे फसल
और साथ में उग आये
ऊँचे-ऊँचे खतरनाक
खर पतवार...
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
नई व्यवस्था से
बरसा बादल
धरती हुई हरी भरी
लहलहा उठे फसल
और साथ में उग आये
ऊँचे-ऊँचे खतरनाक
खर पतवार...
वाह आदरणीय गणेश जी बागी सर प्राकृतिक प्रतिबिम्बों के माध्यम से आपने एक कटु यथार्थ को अपनी प्रस्तुति में चित्रित किया है। इस सुंदर,प्रवाहपूर्ण प्रस्तुति के लिए हार्दिक हार्दिक बधाई सर जी।
बहुत सुन्दर सारगर्भित रचना हार्दिक बधाई आपको आ० गणेश बागी जी
आदरणीया कल्पना जी, कविता पर आपकी उपस्थिति से प्रयास सार्थक हुआ, सराहना हेतु आभार.
आदरणीय रामबली गुप्ता जी, बात आप तक पहुंची प्रयास सफल हुआ, बहुत बहुत आभार.
आदरणीय समर साहब प्रणाम, प्रस्तुत कविता आपको अच्छी लगी, लेखन सफल हुआ, बहुत बहुत आभार.
वाह | गहरी बात कही है अपने आदरणीय अपनी इस रचना में | बधाई स्वीकारें सर |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online