For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत-हृदय का भ्रमर गुनगुनाता चला है।

हृदय का भ्रमर गुनगुनाता चला है।
नया सुर अधर पर सजाता चला है।
हृदय का भ्रमर.............

उजड़ जो गयी एक बगिया हुआ क्या,
बगीचे नए भी यहीं पर मिलेंगे।
नई नित्य कलियाँ सजाएंगी उपवन,
नए पुष्प अमृत-कलश ले खिलेंगे।
यही सोंचकर गीत गाता चला है।
हृदय का भ्रमर.............

तिमिर रात्रि का कब सदा ही रहेगा?
दिवा के उजाले भी चहुँ ओर होंगे।
नवोदित किरन तम का चीरेगी सीना,
प्रभा से प्रकाशित सकल वस्तु होंगे।
हृदय-तम में दीपक जलाता चला है।
हृदय का भ्रमर................

सदा दिन सुखों के न रहते यहाँ हैं ,
दुखो को ज़रा साथ अपने मिला लो।
मिला आज दुख है तो सुख भी मिलेगा,
तले अश्रु के स्वप्न सुख के सजा लो।
नया स्वप्न उर में सजाता चला है।
हृदय का भ्रमर..............

जगत में सभी को क्षुधा प्रेम की है,
जगह प्रेम से हर हृदय में बना लो।
दुखी-दीन मिल जाएं पथ में तुम्हें जो,
बढ़ा कर सहारे का उर से लगा लो।
हृदय हर हृदय से लगाता चला है।
हृदय का भ्रमर.................

सहज राह होती नही सत्य की है,
सदा कंटकों से भरा पथ मिलेगा।
धरे धैर्य-साहस जो आगे बढ़ो तुम,
विजय पथ तुम्हारे चरण चूम लेगा।
चुभन कंटकों की भुलाता चला है।
हृदय का भ्रमर...........
नया सुर अधर..........

रचनाकार-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1006

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 6, 2016 at 10:41am

बहुत सुन्दर गीत रामबली जी हार्दिक बधाई आपको 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 5, 2016 at 10:34pm
क्या खूबसूरत गीत है 

Comment by रामबली गुप्ता on April 5, 2016 at 10:44am
रचना को मान देने के लिए हृदयतल से आभार आद.डॉ गोपाल नारायण जी
सुझाव भी आपका बेहतर है।पुनः आभार
मेरे ब्लॉग की अन्य रचनाओं को भी देखे और सुझाव दें तो आपकी बड़ी कृपा होगी मुझ पर।सादर
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 5, 2016 at 9:58am

वाह वाह रामबली जी , सुन्दर् रचना      .बढ़ा कर सहारे का उर से लगा लो।  इसको यदि इसतरह करें - बढ़ो बन सहारा ह्रदय से लगा लो 

सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service