For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जीवन पथ में, तेज़ धूप, तुम घने पेड़ की छाया माँ-ग़ज़ल

22-22-22-22-----22-22-22-2
जीवन पथ में, तेज़ धूप, तुम घने पेड़ की छाया माँ।
इस मन्दिर सा पावन दूजा, मन्दिर कहीं न पाया माँ।।

जब भी दुख के बादल छाये, मन तूफ़ाँ से घिरा कभी।
इस चेहरे पर दर्द की रेखा, और कौन पढ़ पाया माँ।।

तुम अपने सारे बच्चों  को, कैसे बांधे रखती हो।
जबकी सबके अलग रास्ते, फिर भी एक बनाया माँ।।

विह्वल व्यथित हृदय की धड़कन, ज्यूँ अमृत पा जाती है।
जब भी सर पर कभी स्नेह से, तुमने हाथ फिराया माँ।।

जब भी दर्द यहाँ उट्ठा है, चोट कहीं जब यहाँ लगी।
इन आँखों का पीर नैन से, तुमने सदा बहाया माँ।।


मौलिक-अप्रकाशित

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on May 12, 2016 at 9:54am
आदरणीय राजेश दीदी सादर प्रणाम्

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 12, 2016 at 9:15am

बहुत सुन्दर प्यारी ग़ज़ल हुई हार्दिक बधाईयाँ आ० पंकज जी 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on May 10, 2016 at 9:38am
आदरणीय सौरभ बहुत बहुत आभार और सादर प्रणाम
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on May 4, 2016 at 9:19am

आदरणीय मिथिलेश सर सादर धन्यवाद


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 3, 2016 at 4:38pm

आदरणीय पंकज जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2016 at 7:59pm

बहुत खूब, पंकज भाई. कथ्य के हिसाब से अच्छी ग़ज़ल है. माँ परक इस ग़ज़ल को पढ़ कर मजा आ गया.हार्दिक बधाइयाँ.  

इस मात्रिक ग़ज़ल की खुसूसियत इसका प्रवाह ही हुआ करती है. उसी ओर आदरणीय नीलेश भाई ने ध्यानाकृष्ट किया है. उनकी सलाह वाकई श्लाघनीय और अनुकरणीय है. 

शुभेच्छाएँ

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on May 1, 2016 at 3:56pm
आदरणीय समर कबीर सर सादर प्रणाम। रचना की तारीफ के लिए सादर आभार। सुझाव पर अवश्य कार्य होगा।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on May 1, 2016 at 3:54pm
आदरणीय नीलेश सर, सादर अभिवादन स्वीकार करें। सुझाव सर्वथा उचित है,सुधार जल्द ही कर दूंगा।
Comment by Samar kabeer on May 1, 2016 at 2:44pm
जनाब पंकज कुमार मिश्रा जी आदाब,माँ को समर्पित अच्छी ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
जनाब निलेश नूर जी के सुझाव पर ध्यान दीजिये ।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 1, 2016 at 11:59am

बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है...बधाई आपको 
.
तुम इतने सारे टुकड़ों को, कैसे बांधे रखती हो।..इस मिसरे को लयात्मकता बढाने के लिए 
इतने सारे टुकड़ों को तुम .. कैसे बांधे रखती हो। ...कर सकने के बारे में विचार करें 
फिर  टुकड़ों (ऊला) के साथ सानी में रास्ते ठीक प्रयोग नहीं होगा ...कोई और शब्द खोज सकें तो भाव सुदृढ़ होगा ..
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
51 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
2 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
15 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
20 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service