For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - वो दिल मांगते दिल बसाने से पहले

122 122 122 122


तेरी बज्म में कुछ सुनाने से पहले ।
मैं रोया बहुत गुनगुनाने से पहले ।।

न बरबाद कर दें ये नजरें इनायत ।
वो दिल मांगते दिल बसाने से पहले ।।

है इन मैकदों में चलन रफ्ता रफ्ता ।
करो होश गुम कुछ पिलाने से पहले ।।

तेरे हर सितम से सवालात इतना ।
मैं लूटा गया क्यूँ जमाने से पहले ।।

बदल जाने वाले बदल ही गया तू ।
मुहब्बत की कसमें निभाने से पहले ।।

ख़रीदार निकला है वो आंसुओं का ।
जो आकर गया आजमाने से पहले ।।

जुबाँ को हया ने इजातजत कहाँ दी ?
शबे वस्ल नजरें झुकाने से पहले ।।

बयां कर गयी सारे चेहरे की रंगत ।
तेरे दर्दे गम को छुपाने से पहले ।।

तू कहकर गया अलविदा फख्र से क्यों ।
जनाजे को मेरे उठाने से पहले ।।

मौलिक व अप्रकाशित
- नवीन मणि त्रिपाठी

Views: 664

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 25, 2016 at 1:00pm

अच्छे अश’आर हुए हैं आदरणीय नवीन जी, दाद कुबूल करें

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 24, 2016 at 10:37pm
भाई डॉ आशुतोष मिश्र जी विशेष आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 24, 2016 at 10:36pm
आदरणीया प्रतिभा त्रिपाठी जी तहे दिल से शुक्रिया ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 24, 2016 at 8:25pm
आदरणीय नवीन जी कमाल की ग़ज़ल हुईःहै हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 23, 2016 at 9:30pm
भाई सुरेश कल्याण जी विशेष आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 23, 2016 at 9:30pm
आदरणीय गोपाल नारायण सर आपका सुझाव मैंने मान लिया है ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 23, 2016 at 9:29pm
आदरणीय भंडारी साहब सादर नमन आपने सही पकड़ा है । मैंने अपनी मूल प्रति में सुधार कर लिया है । गुनगुनाने की जगह गीत गाने से पहले लिख दिया है ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 23, 2016 at 8:32pm

आ० नवीन जी  ऐसा कर सकते है -

 

तेरी बज्म में कुछ सुनाने से पहले ।
मैं रोया बहुत  गीत गाने  से पहले ।।-----------------------सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 23, 2016 at 11:32am

आदरनीय नवीन भाई , गज़ल बहुत अच्छी  हुई है , दिल से बधाइयाँ स्वीकार करें । पर एक गम्भीर गलती काफिया बन्दी मे हो गई है , जिसके कारँ बाक़ी शेर खारिज हो रहे हैं --
तेरी बज्म में कुछ सुनाने से पहले ।
मैं रोया बहुत गुनगुनाने से पहले ।।        मतले मे आपने काफिया -  उनाने  तक कर लिया है , और बाक़ी शे र मे  आने बिभाया है । अतः  मतले मे सुधार अनिवार्य है , नही तो बाक़ी शे र खारिज हो जायेंगे ।

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 23, 2016 at 11:01am
न बरबाद कर दें ये नजरें इनायत
वो दिल मांगते दिल बसाने से पहले।
वाह बहुत खूब आदरणीय।बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
7 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service