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ग़ज़ल - मेरी ग़ज़ल पे निशाना है बात क्या करना

1212 1122 1212 22

बड़ा खराब ज़माना है बात क्या करना ।
मेरी ग़ज़ल पे निशाना है बात क्या करना ।।

नहीं है नज्म की तहजीब जिस मुसाफिर को ।
उसी से दिल का फ़साना है बात क्या करना ।।

अजीब शख़्स यूँ पढ़ता उन्हीं निगाहों को ।
किसी को वक्त गवाना है बात क्या करना ।।

बिखर गए है तरन्नुम के हर्फ़ महफ़िल में ।
नजर नज़र से मिलाना है बात क्या करना ।।

हुजूर जिन से दुपट्टे कभी नही सँभले ।
उसे भी घर को बसाना है बात क्या करना ।।

दिखी है आग जो दरिया में तेज लपटों सी ।
वहीं से डूब के आना है बात क्या करना ।।

नया नया है वो शायर उसे न छेड़ो तुम ।
हजार दर्द सुनाना है बात क्या करना ।।

घनी है जुल्फ बहकती सी शोख़ नजरें हैं ।
मियाँ नकाब उठाना है बात क्या करना ।।

गुजर न रोज़ अदाओ के साथ बन ठन कर ।
तुझे तो आग लगाना है बात क्या करना ।।

ये हाशिये जो मुकद्दर के दरमियां मेरे ।
फ़ना का फर्ज निभाना है बात क्या करना ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 12, 2016 at 10:06pm

बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है आद० नवीन त्रिपाठी जी बहुत बहुत मुबारकबाद |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 12, 2016 at 10:05pm

बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है आद० नवीन त्रिपाठी जी बहुत बहुत मुबारकबाद |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 6, 2016 at 9:52pm

बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है आदरणीय नवीन जी | हार्दिक बधाई |

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 27, 2016 at 11:05am
आ0 सुरेश कुमार कल्याण साहब शुक्रिया ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 27, 2016 at 11:03am
आ0 शेख शहजाद उस्मानी साहब शुक्रिया
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 27, 2016 at 11:02am
आ0 शिज्जु शकूर साहब आदाब ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 27, 2016 at 11:01am
आ0 डॉ गोपाल नारायण सर सादर आभार ।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 27, 2016 at 9:04am
हर शेर में दम ।आदरणीय नवीन मणि जी सादर बधाई।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 26, 2016 at 4:14pm
कटाक्ष भी और सवाल भी! बहुत बढ़िया प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आपको आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 26, 2016 at 3:49pm

आ. नवीन मणि त्रिपाठी जी अच्छी ग़ज़ल है बधाई आपको

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