For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही ग़ज़ल/सतविन्द्र कुमार

बह्र :2212  2212  2212  2212

खलती रही अब तक हमें जिस साज की आवाज़ ही
अब कान में घुलती हुई अपनी तरफ हैं खींचती।


अब खा रहे हैं काग वो खाना किसी के श्राद्ध में
आते नहीं इंसान को गुरबत में जिसके ख़्वाब भी।

जो बेचते हैं भूख जनता को दिखा कर रोटियां
वो खुद सियासत में मजे से खा रहे हैं शीरनी।


दीपक बिकें तो फिर गरीबो का बने त्यौहार कुछ
बिजली से जगमग हो रही चारों तरफ दीपावली।


करके सितम इंसान पर तू जान क्यूँ है छीनता
जेहाद को बदनाम करती है तेरी दीवानगी।


जो मुल्क पर देते रहे हैं जान अपनी शान से
है फख्र के काबिल वही रणबांकुरे, माँ भारती


हो शाद सब आबाद भी राहो में हो नूरे अदब
"जलते रहें  दीपक सदा   क़ाइम रहे ये रौशनी।”


राणा तुम्हें भी हो चला है इश्क उन हालात से
जिसमें नज़र आती सभी को एक बस आवारगी।


मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 709

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 7, 2016 at 8:49pm
बहुत् बहुत् आभार आदरणीया कल्पना दीदी!
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 8:56pm

अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय सतविन्द्र भैया | हार्दिक बधाई |

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 3, 2016 at 7:46pm
आदरणीय शिज्जु शकूर जी हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल शुक्रिया।आदरणीय समर कबीर जी के सुझाव अनुसार दुरुस्त कर लिया गया है।सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 3, 2016 at 5:58pm

आ.सतविन्द्र कुमार जी इस ग़ज़ल के लिए बधाई, शेष समर कबीर साहब तो बता ही चुके हैं

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 3, 2016 at 4:52pm
आदरणीय सुरेश भाई जी,प्रयास को समय देकर सराहने के लिए सादर आभार।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 3, 2016 at 4:51pm
आदरणीय रवि शुक्ल सर सादर नमन।प्रोत्साहन के लिए सादर हार्दिक आभार।आपका स्नेह और मार्गदर्शन यूँ ही बना रहे।सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 3, 2016 at 4:41pm
आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज भाई साहब प्रयास की सराहना के लिए सादर आभार एवं नमन।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 3, 2016 at 12:24pm
आदरणीय सतविंदर भाई जी इस उमदा गजल के लिए हार्दिक बधाई ।
Comment by Ravi Shukla on October 2, 2016 at 3:57pm
आदरणीय सतविंदर जी इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए दिली बधाई हाज़िर है मक़्ता बहुत अच्छा लगा । आदरणीय समर साहब का सुझाव दुरुस्त है हालात बहुवचन है ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 2, 2016 at 3:19pm

अब खा रहे हैं काग वो खाना किसी के श्राद्ध में
आते नहीं इंसान को गुरबत में जिसके ख़्वाब भी।..वाहह बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल....बधाइयाँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service