2122 1212 22
जुगनुओं की बरात मुश्किल है।
साथ हो कायनात मुश्किल है।।
चांदनी गर बिखर नहीं जाती
इन निगाहों से मात मुश्किल है।।
यूँ हकीकत छुपी नहीं रहती।
आईने से निजात मुश्किल है।।
रात के बाद निकलता है दिन।
कैसे कह दूँ हयात मुश्किल है।।
दो जहां को सवाँर दूँ तब भी।
इस जहां की बिसात मुश्किल है।।
फासले दरमियाँ न आ पाते।
चुगलियों से निजात मुश्किल है।।
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
मेरे प्रयास को पसन्द करने के लिए हार्दिक धन्यवाद ,आदरणीय राजेश कुमारी जी। रचना पर आपकी उपस्थिति के लिया आभार। सादर।
बहुत अच्छी ग़ज़ल कही अलका जी संशोधन के पश्चात् वो मिसरा भी निखर गया | आपको बहुत बहुत बधाई |
"रचना को आपका स्नेह मिला, बहुत ख़ुशी हुई " प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद आदरणीया कल्पना जी ।
इस प्यारी सी रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया अलका जी |
आदरणीया अलका जी बहुत बहुत बधाई इस गजल के लिये पहले मोबाईल पर एक टिप्पणी लिखी थी किन्तु हैंग होने से पोस्ट नहीं हो पाई अब देखा तो आदरणीय समर साहब की विस्तृत टिप्पणी भी आगई निश्चित ही आपको इससे लाभ हुआ होगा । गजल अच्छी हुई है जो कमी रह गई है उसे विद्वत जन बता ही चुके है । सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online