For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत – सवेरा तू है लाती....

आहिस्ता – आहिस्ता, पास तू आने लगी,
बाहों मे आकर, दिल मे समाने लगी,
छूकर मुझको, सपना दिखाने लगी,
नींदों मे आकर, तू अब सताने लगी.
सवेरा तू है लाती, तू ही लाती रात है,
मेरे दिल को जो धड़कादे , तुझमे वही बात है....(2)


1} देदूं मैं इम्तिहान, प्यार मे तेरे,
कोई तो राज़ है, इनकार मे तेरे,
है इक नशा सा, आँखों के जाम मे तेरे,
आँसुओं की स्याही से ना लिखना, तू पैगाम मे तेरे.
सवेरा तू है लाती, तू ही लाती रात है,
मेरे दिल को जो धड़कादे , तुझमे वही बात है....(2)


2} तेरी इक झलक से, कायल हुए हम तेरे,
हसी ने तेरी तीर सी, घायल किया दिल को मेरे,
पानी सा बहता था, प्यार मे मैं तेरे,
डूबकर भी ज़िंदा हू इकरार से मैं तेरे.
सवेरा तू है लाती, तू ही लाती रात है,
मेरे दिल को जो धड़कादे , तुझमे वही बात है....
सवेरा तू है लाती, तू ही लाती रात है,
मेरे दिल को जो धड़कादे , तुझमे वही बात है....

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 691

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on December 29, 2016 at 7:44pm
आदरणीय विजिश जी, बढ़िया गीत लिखा है आपने। हार्दिक बधाई। सादर।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 29, 2016 at 7:59am
सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई आदरणीय
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 28, 2016 at 8:17pm

अच्छी प्रस्तुति , वाह .

Comment by नाथ सोनांचली on December 28, 2016 at 6:59pm
आदरणीय एम् विजिश कुमार जी बेहतरीन गीत पढने को मिली,बधाई आपको।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 28, 2016 at 6:38pm

आदरणीय विजिश जी, गीत का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by Samar kabeer on December 28, 2016 at 5:15pm
जनाब एम विजिश कुमार जी आदाब,अच्छा लगा आपका गीत,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 28, 2016 at 3:29pm
सुन्दर प्रस्तुति ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 28, 2016 at 1:21pm

इस सुंदर प्रयास पर हार्दिक बधाई सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service