For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"सर, मिश्राजी का फोन आया था, थोड़ी देर में किसी के साथ आ रहे हैं", जैसे ही वह ऑफिस में आया, सेक्रेटरी ने आकर बताया|
"ठीक है, अंदर भेजने से पहले एक बार मुझसे पूछ लेना", उसने कहा लेकिन उसके चेहरे पर थोड़ी तिक्तता फ़ैल गयी| मिश्राजी उसके अध्यापक थे, जब वह हाई स्कूल में था और पिछले महीने ही वह उनसे मिला था| इस नए स्थान पर पोस्टिंग के समय तो उसे उम्मीद भी नहीं थी कि इस तरह से कोई पुराना परिचित मिल जायेगा, लेकिन मिश्राजी को उसने देखते ही पहचान लिया था| दो बार पहले भी वह आ चुके थे यहाँ लेकिन कभी कुछ कहा नहीं, लेकिन आज किसी के साथ आ रहे हैं तो शायद किसी की सिफारिस होगी|
चाय पीते हुए कुछ फाइलें पढ़ रहा था तभी सेक्रेटरी का इंटरकॉम पर फोन आया "सर मिश्राजी आ गए हैं, एक और व्यक्ति साथ में हैं| मीटिंग रूम में बिठा दिया है, अंदर भेजूं या ?
"भेज दो अंदर", कहते हुए उसने फोन रख दिया| जब तक मिश्राजी अंदर नहीं आये, उसने कई चीजें सोच ली थीं| पिछली जगह का बहुत कड़वा अनुभव था उसका, ऐसे ही एक परिचित ने उसका नाम लेकर विभाग से कुछ गलत काम करवा लिए थे| बाद में उसने उसकी बहुत लानत मलामत की थी|
"नमस्कार बेटे, ये मेरे पडोसी शर्माजी हैं", कहकर मिश्राजी बैठ गए|
उसने भी हाथ जोड़े और रुखाई से उनकी तरफ देखा| थोड़ी देर बैठने के बाद दोनों उठ कर चल दिए तो उसको थोड़ा खटका| लगा कि उसका लहजा शायद ठीक नहीं था तो उसने नम्रता से पूछ लिया "कोई काम था क्या?
मिश्राजी ने पलटकर उसकी तरफ देखा और बोले "शर्माजी को भरोसा नहीं हो रहा था कि तुम इतने सरल और नेकदिल हो, बस इसीलिए ले आया था, हमेशा खुश रहो"|
मिश्राजी जा चुके थे, उसे अपने जजमेंट पर कोफ़्त हो रही थी|
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on January 11, 2017 at 5:25pm
आदरणीय विनय कुमारजी आदाब , लघुकथा अच्छी लगी । बधाई स्वीकार करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 11, 2017 at 3:30pm

आदरणीय विनय जी, बहुत बढ़िया संदेशप्रद लघुकथा लिखी है. जजमेंटल होने वालों को सावधान किया है आपने. इस जीवंत प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई. सादर  

Comment by नाथ सोनांचली on January 11, 2017 at 2:58pm
आदरणीय विनय जी सादर अभिवादन, जजमेंट लघुकथा पढ़ी, अच्छा लगा, इसमें जो एक सीख छुपी है, वह काबिलेतारीफ है, हम कई बार पूर्वाग्रह से ग्रसित हो कुछ जजमेंट कर लेते है, पर हालात ए माजरा कुछ और होता है, आपकी कथानक दिक् को छू गयी। बधाई निवेदित है।
Comment by Samar kabeer on January 11, 2017 at 2:19pm
जनाब विनय कुमार जी आदाब,बहुत अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by विनय कुमार on January 11, 2017 at 12:28pm

बहुत बहुत आभार आ तेज वीर जी, बिना पूरी तरह जाने कोई भी निर्णय लेना सही नहीं होता

Comment by TEJ VEER SINGH on January 11, 2017 at 11:09am

हार्दिक बधाई आदरणीय विनय जी।जीवन में बहुत बार ऐसे मुकाम आते हैं कि आदमी गलत जजमेंट कर जाता है। इसलिये सामने वाले को बिना सुने निर्णय लेना उचित नहीं होता।सुंदर प्रस्तुति।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"//ज़िन्दगी में रूठ जाए मीत अपना जब कभीतो मनाने को उसे मनुहार भी करते रहे// मतले सहित ये शेर बहुत…"
7 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय अजय अजेय जी,  आपकी प्रस्तुति और इसके शेरों के कहन पर मेरे पहुँचने तक अच्छी-खासी चर्चा…"
10 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"शुक्रिया गजेन्द्र भाई जी।"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज जी"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय तिलक राज जी, ग़ज़ल पर आने, उसे अपने बेहतरीन सुझावों से समृद्ध करने और हौसला बढ़ाने के लिए आपका…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"कोई कमी नहीं है तपस्या में, आदरणीय। अलबत्ता उत्साह के प्रवाह में युवासुलभ तीव्रता है जो ज्ञान की…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"बहुत खूब! सही बात!! "
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"सहमत हूँ। "
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"अभी तो समय है। 5 शेर कहना भी र्पाप्त होगा।"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"जब 'अहिल्या का किसी' कहा जाये तो अर्थ सांदर्भिक अहिल्या विशेष से हटकर एक प्रतीक भर रह…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"चर्चा पर विराम के उपरॉंत मेरा कुछ कहना उचित नहीं, बस एक बात जिस पर सबकी सहमति होगी, यह है…"
1 hour ago
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वाह क्या माहौल है, क्या ख़ूब चर्चा हो रही है रचनाओं पर। बहुत समय बाद ऐसा माहौल देखा ओ. बी. ओ. पर,…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service