For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देशभक्ति पर वीर रस की कविता

बुझी राख मत हमे समझना, अंगारो के गोले हैं |
देश आन पर मिटने वाले, हम बारूदी शोले हैं ||

हम सब ख़ौफ़ नही खाते हैं, विध्वंसक हथियारों से |
सीख लिया है लड़ना हमने, तुझ जैसे मक्कारो से ||

पहला वार नही हम करते, पहले हम समझाते हैं |
फिर भी कोई आँख दिखाये, महाकाल बन जाते हैं ||

शेरो के हम वंशज सारे, सुन इक बात बताते हैं |
एक झपट्टे में ही पूरा, खाल खींच हम लाते हैं ||

आन बान की रक्षा में हम, हँस कर शीश चढ़ाते हैं |
जिस देश धरा पर जन्म हुआ, उसका कर्ज चुकाते हैं ||

नागफनी के काटो से हम, कभी नहीं घबराते हैं।
सर्पों के फन कुचल कुचल कर, हाथों से लहराते हैं ||

दिल में हल्दी घाटी बैठी, लिए हाथ में भाले हैं |
मातृभूमि पर मिटने वाले, शूरवीर मतवाले हैं||

सिंह गर्जना करते है हम, आग लगाते पानी में |
भाग्य शूरमा का होता गर, हो कुर्बान जवानी में ||

माथे तिलक लगाती हमको, वीर प्रसूता मातायें |
वीर शिवा राणा सुभाष की, भरी पड़ी हैं गाथायें ||

आँख मिचौली बन्द करो तुम, खौफ़ न खाते बिल्ली से|
इक पल में हम चीर फाड़ दें, हुक्म मिले गर दिल्ली से ||

सरहद है महफूज हमारी, अपने वीर जवानों से |
लिखते है इतिहास नया नित, जो अपने बलिदानों से ||

इक बगियाँ के फूल सभी हम, भारत माँ के बच्चे हैं |
हमको अलग समझने वाले, मूर्ख अक्ल के कच्चे हैं ||

गंगा जमुनी तहजीब यहाँ, सारे जग से न्यारी है |
सम्प्रुभता अपने भारत की, हमको जाँ से प्यारी है ||

टोपी भी हमने पहनी है, सर साफा भी बाँधा है
कृष्ण भक्त रसखान कहीं तो, कहीं नाचती राधा है||

बड़ी शान से हम सब मिलकर, देश ध्वजा फहराते हैं |
सकल विश्व को भारत माँ का, हम जयघोष सुनाते हैं ||

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 43865

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nivas Shende on November 28, 2017 at 10:59am

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी, आप की रचना बहुत ही सूंदर है जिस में देश भक्ति भरी हुई है.
क्या हमें इस कविताकी ऑडियो मिल सकती है ?

Comment by नाथ सोनांचली on January 19, 2017 at 3:45pm
आद0 सीमा मिश्रा जी रचना पर हौसला अफजाई के लिए सादर आभार
Comment by नाथ सोनांचली on January 19, 2017 at 3:44pm
आदरणीय नरेंद्र जी हौसला अफजाई के लिए आभार
Comment by नाथ सोनांचली on January 19, 2017 at 3:44pm
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी रचना पर प्रशंसा के इन शब्दों के लिए आभार
Comment by narendrasinh chauhan on January 19, 2017 at 11:33am

इस देशभक्ति पूर्ण रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें

Comment by Shyam Narain Verma on January 19, 2017 at 11:27am
"देशभक्ति के भाव से सजी रचना हेतु सादर बधाई |"
Comment by नाथ सोनांचली on January 19, 2017 at 3:32am
आदरणीय सुशील सरना जी आपकी तारीफ से अभिभूत हूँ, आप की हौसला अफजाई के लिए अतिशय आभार
Comment by Sushil Sarna on January 18, 2017 at 7:21pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी इस देशभक्ति पूर्ण रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें। 

Comment by नाथ सोनांचली on January 18, 2017 at 4:41pm
आदरणीय समर कबीर साहब प्रणाम, आपकी रचना पर उत्साह बढाती प्रतिक्रिया पाकर लिखना सफल हुआ। हृदय से आभार, सादर
Comment by Samar kabeer on January 18, 2017 at 3:28pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,बढ़िया रचना हुई,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
5 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service