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बहुत सुन्दर लघुकथा ....बहुत बहुत बधाई आपको
आदरणीय शेख जी इस शानदार लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई ..आपकी लघु कथाएँ पढ़ते पढ़ते ही इस बिधा में मेरी दिलचस्पी बढ़ी है ..इस रचना प् हार्दिक बधायी के साथ सादर
आदरणीय उस्मानी जी बढ़िया लघुकथा लिखी है. काश ज़ुबैदा ने इतनी हिम्मत शादी के पहले दिखाई होती. लेकिन वही कुछ मजबूरियां. एक सफल लघुकथा के लिए बहुत बहुत बधाई. सादर
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