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ओ मेरे जीवन के सृंगार, मेरे पहले पहले प्यार,

तुम आओ तो हो जाये, मेरा हर सपना साकार

खेतों में सरसों लहराई, चलने लगी बैरन पुरवाई,

तन - मन में है आग लगाये, सुने न मेरी वो हरजाई,

तुम बिन सूना - सूना लागे, मुझको ये संसार।।

तुम आओ तो हो जाये, मेरा हर सपना साकार। ....

फागुन ने है पंख पसारे, रस्ता देखे नैन तिहारे,

चूड़ी, काजल, बिंदिया, पायल, सब मिल तेरा नाम पुकारे,

अपने रंग में रंग ले मुझको, करती हूँ मनुहार।।

तुम आओ तो हो जाये, मेरा हर सपना साकार। ...

तुम कान्हा, मैं राधिका सी, तेरे दरस को अँखिया प्यासी,

चहुँ ओर खिलते चेहरे हैं, मुझपर ही है छायी उदासी,

मेरे दिल का है आमन्त्रण, कर लेना स्वीकार। .

तुम आओ तो हो जाये, मेरा हर सपना साकार। ...

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment by vijay nikore on February 12, 2017 at 12:16am

सुन्दर गीत के लिए बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 9, 2017 at 9:05pm

बहुत सुंदर गीत लिखा है आद० अनीता जी हार्दिक बधाई मिथिलेश भैया की बात भी काबिले गौर है |

Comment by Mohammed Arif on February 9, 2017 at 6:14pm
आदरणीया अनीता जी आदाब, संतोषजनक प्रस्तुति के लिए बधाई ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 9, 2017 at 4:53pm

सृंगार-आदरणीया इसमें त्रुटी है शायद देख लीजियेगा सादर

Comment by Samar kabeer on February 8, 2017 at 7:24pm
मोहतरमा अनीता जी आदाब,सुंदर गीत लिखा आपने,बधाई स्वीकार करें ।
जनाब मिथिलेश जी की बातों पर ध्यान दीजियेगा ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 8, 2017 at 4:31pm

आदरणीया अनीता जी, बढ़िया गीत लिखा है आपने. हार्दिक बधाई. पंक्तियों के उचित विन्यास व समान मात्रिक भार की कमी और शब्द-कलों के अनुसार विन्यास न होने के कारण कहीं कहीं गेयता प्रभावित हो रही है. सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 8, 2017 at 3:46pm

आदरणीया अनीता जी इस रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

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