यादें......
यादें !
आज पर भारी
बीते कल की बातें
वर्तमान को अतीत करती
कुछ गहरी कुछ हल्की
धुंधलके में खोई
वो बिछुड़ी मुलाकातें
हाँ !
यही तो हैं यादें
ये भीड़ में तन्हाई का
अहसास कराती हैं
आँखों से अश्कों की
बरसात कराती हैं
सफर की हर चुभन
याद दिलाती हैं
जब भी आती हैं
ज़ख़्म कुरेद जाती हैं
अहसासों के शानों पर
ये कहकहे लगाती हैं
ज़हन की तारीकियों में
ये अपना घर बनाती हैं
पलकों के दरीचों में
ये बेरोकटोक आती हैं
दीद-ओ-दिल पर ये
हर लम्हा राज करती हैं
इनमें
हकीकत की तासीर होती है
टूटे ख़्वाबों की जागीर होती है
रिश्तों की दरकती दीवारें
अपने वजूद को तरसती हैं
हकीकत के अब्र से
यादें
अंगारों सी बरसती हैं
वर्तमान का हर पल
इनकी आगोश में सो जाता है
यादों का कारवाँ
वक्त की नुकीली सुइयों पर बैठ
अपनी जीत का
परचम फहराता है
इंसान
आगाज़ से अंजाम तक
यादों के संग जीता है
यादों के संग मर जाता है
यादों के फ्रेम में
वो
खुद
इक याद बन जाता है
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी प्रस्तुति के मर्म को अपने सहमति देते लफ़्ज़ों से मान देने का तहे दिल से शुक्रिया।
इंसान
आगाज़ से अंजाम तक
यादों के संग जीता है
यादों के संग मर जाता है
यादों के फ्रेम में
वो
खुद
इक याद बन जाता है --- सत्य कहाँ आपने साहब | एक दिन इंसान खुद याद बन जाता है | सुंदर रचना के लिए बधाई
आदरणीय Tasdiq Ahmed Khanजी प्रस्तुति के मर्म को अपने सहमति देते लफ़्ज़ों से मान देने का तहे दिल से शुक्रिया।
आदरणीय Mohammed Ari जी प्रस्तुति के मर्म को अपने सहमति देते लफ़्ज़ों से मान देने का तहे दिल से शुक्रिया।
मुहतरम जनाब सुशील सरना साहिब , यादों की अच्छी मंज़र काशी करती हुई सुंदर
रचना के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ---
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online