घनाक्षरी में सांगोपांग सिंहावलोकन छंद के साथ प्रथम प्रयास
**
जाइए यहाँ से अभी
सरदी बहुत है जी
बादल आवारा सुनो
गर्मियों में आइए
.
आइए जो गरमी में
बरखा बहार संग
ठंडी सी हवाओं वाला
रस भी तो लाइए
.
लाइए जो बिजली तो
गरज गरज कर
कसक बरसने की
हमे न दिखाइए
.
खाइए न भाव अब
उचित समय पर
कृषकों की आस जरा
पूरी कर जाइए
**
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी , टंकण त्रुटि तो किसी से भी हो सकती है, अपने तो रचना को निखार दिया है ,आप गुनीजनो के मार्ग दर्शन से ही इस मंच से लेखन की बारीकियां सीख रही हूँ , बहुत आभारी हूँ की इस अदना से प्रयास को निखारने में आपने समय दिया । सादर।
आ० अलका ललित जी टंकण की त्रुटि मुझसे भी हुयी दरअसल दूसरा विधान (8,8 -8,7) (8,8 -8,7) (8,8 -8,7) (8,8 -8,7) का है . इस त्रुटि के प्रायश्चित स्वरूप मैं आपकी कविता को अपने शब्दों में सांगोपांग सिहावलोकन बनाकर प्रस्तुत कर रहा हूँ . आपकी कविता का स्वरुप बिगाड़ने हेतु क्षमा याचना .
जाइए यहाँ से अभी
सरदी कडाके की है
सुनिये जलद वीर
गर्मियों में आइए
.
आइये तो पावस की
वर्षा बहार लेकर
शीतल समीर् वाला
रस-गंध लाइए
.
लाइए ह्रदय मध्य
चपला की कौंध और
गीत रिमझिम वाला
पंचम में गाइए
.
गाइए पयोद-राग
धरती को सींच सींच
आस कृषकों की आज
पूरी कर जाइए
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी ,आप गुनीजनो के मार्ग दर्शन से ही इस मंच से लेखन की बारीकियां सीख रही हूँ , बहुत आभारी हूँ की इस अदना से प्रयास को निखारने में आपने समय दिया । अभी यही सुधार का प्रयास किया है यदि सही हो तो पोस्ट Edit करूँ । यदि फिर भी कोई त्रुटि हो तो कृपया निर्देश दीजियेगा । सादर।
जाइए यहाँ से अभी
सरदी बहुत है
बादल आवारा सुनो
गर्मियों में आइए
.
आइयेगा गरमी में
बरखा बहार ले
ठंडी सी हवाओं वाला
रस भी तो लाइए
.
लाइए जो बिजली तो
गरजना करके
कसक बरसने की
हमे न दिखाइए
.
खाइए न भाव अब
उचित समय पे
कृषकों की आस जरा
पूरी कर जाइए
अभी भी वर्ण विन्यास ठीक नहीं है. आपने (8,8 8,7) (8,8 8,7) (8,8 8,7) (8,8 8,7) विधान किया है जबकि यह ((8,8 8,8 ) (8,8 8,) (8,8 8,8 ) (8,8 8,8 ) अथवा ( 87 87) (87 87) (87,87 ) (87 87) होना चाहिये SAADAR
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी , प्रयास को समय देने व त्रुटियां इंगित करने के लिए आपका बहुत आभार ।सुधार का प्रयास किया है उम्मीद है अब सही होगा। यदि फिर भी कोई त्रुटि हो तो कृपया निर्देश दीजियेगा । सादर।
जाइए यहाँ से अभी सरदी बहुत है जी
बादल आवारा सुनो गर्मियों में आइए
. आइए जो गरमी में बरखा बहार संग
ठंडी सी हवाओं वाला रस बरसाइए
बरसाइए गा तब गरज गरज कर
कसक बरसने की हमे न दिखाइए
दिखाइए बरस के उचित समय पर
कृषकों की आस जरा पूरी कर जाइए
इस सिंहावलोकन की विशेष त्रुटि पर विद्वानों का ध्यान नहीं गया – यदि आदि और अंत तीन वर्णिक है तो इसका पूरा निर्वाह होना चाहिए . चौथी पंक्ति में बरसाइये तक तो ठीक है . पर आगे पान्चवी पंक्ति में फिर बरसाइये से चरण का प्रारम्भ गलत है . यहाँ ‘साइये’ से शुरुआत होनी चाहिए इसी प्रकार छठी पंक्ति में दिखाइये तो सही पर फिर सातवी पंक्ति ‘खाइए’ से शुरू होनी चाहिए . सादर
आदरणीय बासुदेव अग्रवाल 'नमन' जी, प्रयास को समय देने व उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आपका ,आपके सुझाव अनुसार सुधार किया है उम्मीद है अब सही होगा। सादर।
आदरणीय Saurabh Pandey ji , प्रयास को समय देने व उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आपका। सादर।
आदरणीया, इस प्रयास से मन प्रसन्न है. हार्दिक शुभकामनाएँ ..
सुधीजनों ने विधान पर आप्से जो विन्दु साझा किये हैं उन पर अवश्य ध्यान दीजिएगा. वस्तुतः अभ्यास ही रचनाकर्म को साधने का मूल है. आप निरंतर अभ्यासरत रहें. साथ ही, आप विधान के प्रति संवेदनशील रहें. ैससे रचनाओं में ताकिक सुधार आएगा.
सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online