For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1-
कौन सुखी संसार में, जिसे न हो व्यवधान।
होती बुद्धि विवेक से, हर मुश्किल आसान।।
निरापद किसको देखा।।
2-
विपदा हो जब सामने, मुश्किल में हो जान।
ऐसे में हिम्मत रखें, सँग में प्रभु का ध्यान।।
आपदा टल जाएगी।।
3-
मुश्किल का मिलता नहीं, जब कोई भी तोड़।
अंदर ही अंदर वही, लेती रक्त निचोड़।।
आदमी घुटता रहता।।
4-
होती मुश्किल वक्त में, रिश्तों की पहचान।
सब दिन होते हैं नहीं, हरदम एक समान।।
परख सबकी हो जाती।।
5-
चुप रहकर ही काटिए, जब हो मुश्किल वक्त।
पलट दिए हैं वक्त ने, कितने ताजो तख्त।।
समय की करें प्रतीक्षा।।
(मौलिक व अप्रकाशित)
**हरिओम श्रीवास्तव**

Views: 986

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hariom Shrivastava on August 8, 2017 at 4:55pm
आदरणीय Nilesh Se hain kar जी, जी एस टी कुण्डलिया पर त्रुटिवश ही मौलिक व अप्रकाशित नहीं लिखा था। आज मैंने आपकी टिप्पणी देखी तो संशोधन कर दिया है। त्रुटि हेतु क्षमाप्रार्थी हूँ। किंतु ऐसी त्रुटि होने पर रचना को अप्रूव्ड ही नहीं करना चाहिए। कृपया अप्रकाशित का अर्थ और स्पष्ट कर दें,जिससे भविष्य में कोई गफलत न हो। वैसे भी यहाँ पोस्ट करना आसान नहीं है, अतः मैं कम ही पोस्ट करता हूँ। सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 10, 2017 at 9:03pm

आ० अनुज भंडारी जी हिन्दी में  यदि अनुस्वार चन्द्र  के साथ है तो वह  एक मात्रिक ही होता है आतः यहाँ  सँग की मात्रा 11  ही है जो सही है ------------ पर  ----ताजो तख्त  के प्रयोग से बचना चाहिए था .  तख्त और वक्त  का तुक भी सही नहीं है  तथाप इन दोहों के लिए धन्यवाद . दुमदार दोहों का चलन व्यंग को गति और उभार  देने के लिए हुआ था  पर यहाँ दोहे व्यंगात्मक नहीं हैं . सादर .

Comment by Samar kabeer on July 10, 2017 at 6:22pm
जनाब हरिओम श्रीवास्तव जी आदाब,बहुत ख़ूब वाह, अच्छा सन्देश दे रहे हैं आपके दुमदार दोहे,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 10, 2017 at 6:11pm

आदरनीय हरि ओम भाई , जीवन से जुड़े दुम दार होहों के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

आदरणीय -

संग = 21 लिया जना चाहिये ,,, सँग में प्रभु का ध्यान   ... की मात्रा 12 हो रहीं हैं

Comment by Mohammed Arif on July 10, 2017 at 8:04am
आदरणीय हरिओम जी आदाब,बेहतरीन दुमदार दोहों की प्रस्तुति । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by नाथ सोनांचली on July 10, 2017 at 5:18am
आद0 हरिओम श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन, अच्छे दुमदार दोहे बन पड़े है। बधाई स्वीकारें।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 9, 2017 at 6:04pm
भाई हरिओम जी अति उत्तम दुमदार दोहे हुए है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service