नेम प्लेट ...
कुछ देर बाद
मिल जाऊंगा मैं
मिट्टी में
पर
देखो
हटाई जा रही है
निर्जीव काल बेल के साथ
लटकी
मेरी ज़िंदा
मगर
उखड़े उखड़े अक्षरों की
एक अजीब सी
चुप्पी साधे
पुरानी सी
नेम प्लेट
मुझसे पहले
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान साहिब , आदाब। ... सृजन के भावों को अपने मधुर शब्दों से शोभित करने का हार्दिक आभार।
आदरणीय हरी प्रकाश दूबे जी सृजन के भावों को अपनी स्नेहिल प्रशंसा से शोभित करने का हार्दिक आभार। आपके द्वारा इंगित टंकण त्रुटि की ओर ध्यान आकर्षित करने का हार्दिक आभार। मैं अभी इस एडिट कर दुबारा पोस्ट करता हूँ। ये सब गूगल जी का कारनामा है।
आदरणीया कल्पना भट्ट जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का आभारी है।
आदरणीय लक्षमण धामी जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।
बहुत खूब ! .. भाव के क्षणिक आवेग को आपने खूबसूरती से शब्दबद्ध किया है. हार्दिक बधाइयाँ आदरणीय सुशील सरनाजी.
एक बात :
चुप्पी साधे / पुरानी से / नेम प्लेट .. यहाँ वाक्य गठन के अनुसार ’पुरानी से’ न हो कर ’पुरानी-सी’ होना चाहिए था.
लेकिन, नेम-प्लेट की संज्ञा को स्त्रीलिंग के तौर पर व्यवहृत करते हैं क्या ?
सादर
पुरानी से की जगह सर पुरानी सी होना चाहिये , बाकी इस बहुत ही सुन्दर रचना के लिए आपको साधुवाद आदरणीय Sushil Sarna सर !सादर
वाह बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना हुई है आदरणीय सुशिल सरना जी | हार्दिक बधाई |
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